अयोध्या केस में देरी से RSS नाखुश
नई दिल्ली : अयोध्या केस में बड़ा फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मामले का समाधान मध्यस्थता के जरिये किए जाएगा। इसके लिए एक पैनल का गठन भी किया गया है, जिसकी अध्यक्षता रिटायर जस्टिस खलीफुल्लाह करेंगे। इसमें आध्यात्मिक धर्मगुरु श्री श्री रविशंकर और श्री राम पंचू भी शामिल हैं। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस मामले का अब तक समाधान नहीं निकाले जाने पर रोष जताया है और सुप्रीम कोर्ट पर 'हिन्दुओं की आस्था की अनदेखी' का आरोप भी लगाया।
आरएसएस ने इस संबंध में केरल के सबरीमला मंदिर केस का भी जिक्र किया और कहा कि इस मामले में किसी भी पक्ष, यहां तक कि फैसला देने वाली पीठ की एकमात्र महिला सदस्य के विचारों को भी तवज्जो नहीं दिया गया। आरएसएस ने कहा, 'राम जन्मभूमि केस में न्याय प्रक्रिया तेज किए जाने के बाद भी अरसे से लंबित विवाद का समाधान नहीं हो पाया है। सुप्रीम कोर्ट का रुख हैरान करने वाला रहा। हिन्दू समाज की गहरी आस्था से जुड़े ऐसे संवेदनशील मसले को भी सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिकता नहीं दी। यह समझ से परे है।'
आरएस ने शीर्ष अदालत पर 'हिन्दुओं की उपेक्षा' का आरोप भी लगाया। उसने कहा, 'हमें ऐसा लग रहा है कि हिन्दुओं की लगातार उपेक्षा हो रही है। हालांकि न्याय व्यवस्था में हमारा पूरा विश्वास है, लेकिन हमारा मानना है कि विवाद का जल्द समाधान होना चाहिए और भव्य मंदिर के निर्माण में आने वाली बाधाओं को दूर किया जाना चाहिए।'
आरएसएस ने इस क्रम में केरल के सबरीमला मंदिर केस का भी जिक्र किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश और पूजा का अधिकार दिया, जबकि परंपरागत रूप से यहां 10 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हालांकि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर केरल में व्यापक विरोध भी हुए, पर इस बीच दो महिलाओं ने तमाम वर्जनाओं को तोड़ते हुए मंदिर में प्रवेश की कामयाबी भी हासिल की।