गडकरी को हराने के लिए कांग्रेस गंभीर
BJP के ही पूर्व सांसद को उतार सकती है मैदान में
नई दिल्ली: सोनिया गांधी और उनकी पार्टी के नेता भले ही नितिन गडकरी द्वारा अपने मंत्रालय में किए गए कार्यों की तारीफ करते रहे हों, लेकिन चुनावी मैदान में पार्टी केंद्रीय मंत्री को कड़ा मुकाबला देने की तैयारी में है। कांग्रेस यह तैयारी नागपुर के लिए कर रही है, जहां पार्टी को 2014 में करारी शिकस्त की शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी। अंदरूनी सूत्रों की मानें तो, कांग्रेस पार्टी आपसी टकराव का सामना कर रहे स्थानीय ईकाई के नेताओं को टिकट के मामले में नजरअंदाज करते हुए किसी बाहरी को मैदान में उतार सकती है।
कांग्रेस के एक शीर्ष नेता ने बताया, ‘पार्टी नागपुर को बेहद गंभीरता से ले रही है क्योंकि यहां आरएसएस का मुख्यालय भी है। गडकरी को लेकर राहुल गांधी के नरम रवैए की वजह से उठ रही अटकलों की वजह से भले ही गडकरी पीएम पोस्ट के लिए मोदी के सामने एक चुनौती के तौर पर उभरने में कामयाब हुए हों, लेकिन कांग्रेस उनके टक्कर में एक मजबूत बाहरी प्रत्याशी उतारेगी। इससे हमारी पार्टी के अंदर के गतिरोध भी दूर हो जाएंगे।’ बता दें कि 2014 में गडकरी ने पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था। जीवन भर आरएसएस के कार्यकर्ता रहे गडकरी ने कांग्रेस के 7 बार के सांसद विलास मुत्तेवर को नागर में 2 लाख 85 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। गडकरी की जीत को मोदी लहर के परिणाम के तौर पर देखा गया था। हालांकि, इस बार यह 61 वर्षीय नेता बतौर केंद्रीय मंत्री अपने कामकाज के दमखम पर मैदान में उतरेंगे।
उधर, दूसरी ओर कांग्रेस जातिगत समीकरणों के जरिए चुनावी नैया पार लगाने की तैयारी में है। गडकरी के साथ लंबे वक्त तक काम करने वाले पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘दलितों और मुसलमानों को मिलाकर कुल 8 लाख वोट हैं। इसके अलावा, दो लाख हलबा (बुनकरों का एक समुदाय) वोट और 40 हजार ढांगर वोट हैं। पिछली बार हलबा समुदाय ने गडकरी के लिए एक मुश्त वोट डाला था और उन्होंने भी उनकी समस्याएं दूर करने का वादा किया था। इस बार इस समुदाय ने बीजेपी को अपने वादे न पूरे करने को लेकर सबक सिखाने का फैसला किया है। वहीं, ढांगर अनुसूचित जनजाति में न शामिल किए जाने की वजह से बीजेपी से उनका मोहभंग हो गया है। उधर, 4 लाख वोट शक्ति वाले कुनबी (अगड़ी जाति) समुदाय के लोग कांग्रेस के पाले में आ सकते हैं। इसकी वजह बीजेपी द्वारा क्षेत्र में सारे प्रमुख पदों पर ब्राह्मणों को नियुक्त करना है।’
नागपुर सीट पर गडकरी के खिलाफ जिन नामों की चर्चा चल रही है, उनमें नाना पटोले भी शामिल हैं। नाना ने उस वक्त सुर्खियां बटोरी थीं, जब उन्होंने 2017 में नागपुर डिविजन से जुड़े भंडारा-गोंडिया क्षेत्र के लोकसभा सांसद के तौर पर इस्तीफा दे दिया था। नाना मोदी के कामकाज के तरीके और बीजेपी शासन में किसानी की हालात के अलोचक रहे हैं। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए और उन्हें पार्टी के किसान मोर्चा का प्रमुख बना दिया गया। पटोले ने कहा है कि वह गडकरी के खिलाफ मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं। एक सीनियर कांग्रेसी नेता के मुताबिक, उन्होंने 2014 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव हार चुके मुत्तेवर से हाल ही में मुलाकात कर उनका समर्थन मांगा था। कांग्रेस की ओर से दूसरे संभावित के तौर पर प्रफुल्ल गुडधे का नाम चल रहा है, जो एक प्रभावशाली कुनबी चेहरे हैं। प्रफुल्ल को नागपुर साउथ वेस्ट विधानसभा सीट से सीएम देवेंद्र फडणवीस के हाथों 70 हजार वोटों से शिकस्त मिली थी। उनके पिता 1995-99 के बीच बीजेपी के मंत्री रहे हैं।