अयोध्या विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पर फैसला सुरक्षित रखा
नई दिल्ली: अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज मध्यस्थता पर सुनवाई की गई। सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों के बात सुनने के बाद मध्यस्थता पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि इस मामले में मध्यस्थता की जाए या नहीं। कोर्ट ने सभी पक्षकारों को मध्यस्थता के लिए नाम देने के लिए कहा है। सीजेआई ने कहा कि सभी पक्षकार आज ही नाम दे दें। हम जल्द ही आदेश जारी करेंगे। इसे पहले हुए सुनवाई में कोर्ट ने सुझाव दिया था कि दोनों पक्षकार बातचीत का रास्ता निकालने पर विचार करें।
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* सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि इस मामले में मध्यस्थता की जाए या नहीं। कोर्ट ने सभी पक्षकारों को मध्यस्थता के लिए नाम देने के लिए कहा है। सीजेआई ने कहा कि सभी पक्षकार आज ही नाम दे दें। हम जल्द ही आदेश जारी करेंगे।
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सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षकारों की बातचीत सुनने के बाद मध्यस्थता पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
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हिन्दू पक्ष ने कहा कि आगर दोनों पक्षों के बीच समझौता हो जाता है तो समाज इस को कैसे स्वीकार करेगा? इस सावल के जावाब में जस्टिस बोबड़े ने कहा कि अगर समझौता कोर्ट को दिया जाता है। कोर्ट उस पर सहमति भी दे देता है, और आदेश पास करता है। तब वो सभी को मानना ही होगा।
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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मध्यस्थता में हम कैसे लोगों को बाध्यकारी बना सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक बाध्यकारी चरित्र है।
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जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा कि जब कोई पार्टी किसी समुदाय की प्रतिनिधि होती है, चाहे वह प्रतिनिधि के मुकदमे में कोर्ट की कार्रवाई हो या मध्यस्थता हो। उसे बाध्यकारी होना चाहिए।
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इस अहम फैसले के दौरान जब कोर्ट ने पूछा कि मध्यस्थता के माध्यम से हुए फैसले को लाखों लोगों के लिए बाध्यकारी कैसे बनाया जाए? इस पर मुस्लिम पक्षकार ने कहा कि मध्यस्थता का सुझाव कोर्ट की तरफ से आया है। मध्यस्थता पर किस तरह से बातचीत होगी यह सब कोर्ट तय करेगा।
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जस्टिस चंद्रचूड ने जब कहा कि मध्यस्थता का मकसद केवल पक्षकारों के बीच समझौता कराना है। इस पर मुस्लिम पक्षकार के वकील ने कहा कि मध्यस्थता के लिए दरवाजे खुले हैं।
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जस्टिस चंद्रचूड़ शांति के साथ बातचीत के दरिए माध्यम से संकल्प की वांछनीयता एक आदर्श स्थिति है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सवाल है कि इसे किस तरह से किया जा सकता है?
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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह केवल राजनित पार्टियों के बीच का विवाद नहीं है। यह विवाद दो समुदायों को लेकर है। हम मध्यस्थता के जरिए से लाखों लोगों को कैसे बांधेंगे? यह इतना आसान नहीं हो सकता।
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कोर्ट में मध्यस्थता पर सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की ओर से धवन ने कहा कि संविधान बेंच सभी पक्षों से कहे कि मध्यस्थता की पूरी प्रक्रिया गोपनीय रखी जानी चाहिए जब तक कि कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल नहीं होती।
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जस्टिस बोबडे ने कहा कि दोनों पक्षकारों के द्वारा गोपनीयता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस गोपनियता की टिप्पणी मीडिया में नहीं होनी चाहिएं। इस प्रक्रिया की रिपोर्टिंग ना हो। अगर इसकी रिपोर्टिंग हो तो इसे अवमानना घोषित किया जाए।
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मुस्लिम पक्षकार के वकील ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के ऊपर है कि मध्यस्थ कौन हो? मध्यस्थता इन कैमरा हो। मुस्लिम पक्षकार के इस बयान पर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि गोपनीय होना चाहिए।
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मुस्लिम पक्षकार की ओर ओर से राजीव धवन सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रख रहे हैं। अपना पक्ष रखते हुए उन्होंनं कोर्ट के दो पुराने फैसलों का जिक्र किया है।
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जस्टिस बोबड़े ने कहा कि अयोध्या मामला सिर्फ जमीन का मामला नहीं है, बल्कि भावनाओ से जुड़ा हुआ भी है। दिल, दिमाग और भावनाओं का मामला है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि इस मामले का हल दोनों पक्षकार बातचीत से निकालें।
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जस्टिस बोबड़े ने कहा कि कोई उस जगह बने और बिगड़े निर्माण या मंदिर मस्जिद और इतिहास को यूएनडोओ नहीं कर सकता। बाबर था या नहीं, वो किंग था या नहीं ये सब इतिहास की बातें हैं।सिर्फ आपसी बातचीत की प्रिक्रिया से ही यूएनडीओ हो सकता है।
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जस्टिस बोबड़े ने कहा कि जो पहले हुआ हमारा कोई नियंत्रण नहीं। हम इस विवाद में अब क्या है उस पर बात कर रहे हैं।
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जस्टिस बोबड़े ने कहा कि हम देश की बॉडी पॉलिटिक्स के असर को जानते हैं। ये दिल दिमाग और हीलिंग का मसला है।
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सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने हिंदू महासभा से कहा कि आप यह अनुमान लगा रहे हैं कि समझौता नहीं होगा। यह भावनाओं से जुड़ा हुआ है।
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जस्टिस बोबड़े ने हिंदू महासभा से कहा कि आप कह रहे हैं कि समझौता फेल हो जाएगा। आप पहले ही अनुमान कैसे लगा सकते हैं?
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सुप्रीम कोर्ट की बेंच से हिंदू महासभा ने कहा कि लोग मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं होंगे। इस सवाल के जवाब में संविधान बेंच ने कहा कि आप कह रहे हैं कि इस मसले पर समझौता नहीं हो सकता।
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हिंदू महासभा ने कहा कि समझौते के लिए पब्लिक नोटिस का जारी किया जाना बहुत आवश्यक है।
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अयोध्या मामले पर मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ में सुनवाई कर रही है। हिन्दू महासभा के वकील हरि शंकर जैन ने बहस की शुरुआत की।