भाजपा का लोकसभा में खाता खोलने वाले सांसद ने पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र पर उठाये सवाल
नई दिल्ली:1984 के लोकसभा चुनाव में पहली बार जिन दो नेताओं ने भाजपा का खाता खोला था, उनमें से एक चंदूपतला जंगा रेड्डी ने अब पार्टी के नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी का 1984 के लोकसभा चुनाव में खाता खोलने वाले चंदूपतला जंगा रेड्डी ने पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र पर सवाल उठाए हैं. बीजेपी के 'प्रथम सांसद' रहे रेड्डी का मानना है कि देश को भाजपा की जरूरत है, लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी में बीते दो सालों में आंतरिक लोकतंत्र कमजोर हुआ है और पार्टी के बुजुर्गो के साथ रूखा व्यवहार हुआ है. रेड्डी, 1984 में भाजपा का संसद में खाता खोलने वाले दो सांसदों में से एक हैं. यह वही नेता हैं, जिन्होंने आंध्र प्रदेश के हनमकोंडा में पी.वी.नरसिम्हा राव जैसी हस्ती को हराकर बीजेपी का खाता खोला था. रेड्डी के साथ गुजरात के मेहसाणा से ए.के.पटेल ने सदन में भाजपा का झंडा बुलंद रखा. इसके साथ भाजपा की संख्या 1989 में 88 तक पहुंच गई.
रेड्डी ने विपक्ष की ओर से सत्तारूढ़ पार्टी पर लोकतंत्र को कमजोर करने के आरोप को खारिज कर दिया और जम्मू एवं कश्मीर के संकट के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया.उन्होंने 14 फरवरी को पुलवामा के आत्मघाती हमले के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए.उन्होंने जवानों के शहीद होने पर अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा, "देश को भाजपा की जरूरत है. यह पार्टी समय की जरूरत है. कांग्रेस की गलत नीतियों की वजह से देश को काफी नुकसान हुआ है. यह उनकी नीतियों की वजह से है कि हाल में हमारे 40 जवान कश्मीर में शहीद हो गए."
हालांकि, दिग्गज भाजपा नेता ने पार्टी में वर्तमान स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की.लेकिन, उन्होंने कहा कि वह देश हित में पार्टी के साथ हैं. उन्होंने कहा, "निसंदेह मैं नाराज हूं, लेकिन मैं क्या कर सकता हूं. मेरी उम्र 84 साल है. मेरी कोई नहीं सुनता. मैंने अमित शाह से मुलाकात का समय लिया, लेकिन यह दो मिनट में खत्म हो गया. इस सबके बावजूद मैं भाजपा के लिए जीता हूं और पार्टी के लिए मरूंगा."
यह पूछे जाने पर कि विपक्ष वर्तमान शासन के तहत संसदीय लोकतंत्र के खतरे में होने का आरोप लगाता है, उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया.उन्होंने कहा, "अगर कांग्रेस कहती है कि लोकतंत्र खतरे में है तो मैं इसे सिरे से खारिज करता हूं. वे ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वे लोकसभा में कम संख्या में हैं. हमारे संसदीय लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हैं और इन्हें कमजोर नहीं किया जा सकता."
हालांकि, उन्होंने कहा कि भाजपा में आतंरिक लोकतंत्र कमजोर हुआ है.हनमकोंडा, तेलंगाना क्षेत्र के वारंगल जिले का हिस्सा है. यह 1977 में संसदीय निर्वाचन क्षेत्र बना और परिसीमन होने तक यह 2009 तक रहा. यह पूछे जाने पर कि 1984 की दो सीटों से 2014 की 280 सीटों पर पहुंचने की भाजपा की यात्रा को आप कैसे देखते हैं? रेड्डी ने कहा, "बेहतर होगा कि यह बात सरकार में मौजूद लोगों से पूछें."
उन्होंने कहा, "लेकिन मैं कह सकता हूं कि पार्टी के दिग्गजों के साथ रूखा व्यवहार हुआ है."हालांकि, उन्होंने ज्यादा विवरण देने से इनकार कर दिया. भाजपा के दक्षिण के राज्यों में गुजरात की तरह विस्तार पाने में असफल रहने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने इसके लिए भाजपा के केंद्रीय नेताओं के एनटीआर की अगुवाई में तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के साथ गठबंधन को जिम्मेदार ठहराया.