देश की संयुक्त संस्कृति मीर त़की मीर और मुंशी नवल किशोर की ऋणी है: डाॅ0 खुर्शीद जहाँ
लखनऊ में याद किये गए हिन्दू-मुस्लिम एकता के जनक ‘‘मीर त़की मीर, होनहार स्टूडेंट्स को मिला सम्मान
लखनऊ: यू0पी0 प्रेस क्लब, लखनऊ में हिन्दू-मुस्लिम एकता के जनक ‘‘मीर त़की मीर याद किये गये’’ इस शीर्षक के अन्तर्गत आज एक सेमिनार का आयोजन मुंशी नवल किशोर स्मारण समिति लखनऊ के तत्वाधान तथा उत्तर प्रदेश उर्दू एकादमी के सहयोग से किया गया। सेमिनार का आरम्भ कक्षा-1 की छात्रा आलिया हनीफ के तिलावते कुरान से की गई। सभा की अध्यक्षता इरफान अहमद अलीग ने की जब कि संचालन आतिफ अहीद ने किया।
इस अवसर पर अपने स्वागत सम्बोधन में डाॅ0 खुर्शीद जहाँ ने कहा कि देश की संयुक्त संस्कृति मीर त़की मीर तथा मुंशी नवल किशोर की ऋणी है। मकाला निगार मिसबाहुर रहमान रहमानी ने अपने सम्बोधन में कहा कि मीर त़की मीर एक संवेदनशील कवि थे। उनकी शायरी में जहां एक संवेदना पायी जाती है तो दूसरी ओर रोमानियत व श्रंगार रस भी पाया जाता है।
अहमद इरफान अलीग ने दास्ताने मीर के हवाले से कहा कि वह एक विशिष्ठ शैली के कवि थे, उनका सम्बन्ध लखलऊ से बहुत गहरा था। यद्यपि उन्होंने अपने जीवन का अधिकतर भाग दिल्ली में बिताया, परन्तु उन्हें लखनऊ से बहुत प्यार था। उनकी कविताएं उस काल की परिस्थितियों के अनुसार अत्यन्त संवेदना पूर्ण है और इसी संवेदना ने उन्हें एक उत्कृष्ठ कवि बनाते हैं।
इस मौके पर विभिन्न स्कूलों के तीस होनहार बच्चों को अवार्ड से सम्मानित किया गया|
संगोष्ठि के अन्त में धन्यवाद प्रस्ताव संस्था के मैनेजर ई0 अतीकुर्रहमान ने प्रस्तुत करते हुए कहा कि उपस्थित महानुभावों ने इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर तथा अपने भावों को प्रकट कर हमारा उत्साहवर्धन किया है। स्वामी मुरारी दास जी ने भी इस अवसर पर अपने सुन्दर विचार व्यक्त किये।