शहीद पिंटू के भाई ने सरकार को धिक्कारा
बोले- शहादत की जगह रैली को दी गई प्राथमिकता
बिहार के बेगूसराय के रहने वाले सीआरपीएफ जवान पिंटू कुमार जम्मू-कश्मीर आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। रविवार (3 फरवरी) की सुबह उनका पार्थिव शरीर पटना एयरपोर्ट लाया गया। इसके बाद बेगूसराय स्थित पैतृक गांव भेजा गया। पटना एयरपोर्ट पर शहीद जवान को श्रद्धांजलि देने के लिए न तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे और न हीं उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी। यहां तक कि राज्य के किसी मंत्री ने एयरपोर्ट पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि नहीं दी। सिर्फ बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा एयरपोर्ट पहुंचे। इस घटना पर शहीद पिंटू के भाई मिथिलेश कुमार ने दुख जताया। उन्होंने कहा कि शहादत की जगह रैली को महत्व दिया गया। इससे पता चल गया कि सरकार सेना को कितना मदद कर रही है। वहीं, विपक्षी नेताओं ने भी सरकार पर निशाना साधा है।
मिथिलेश ने कहा, “रैली को महत्व दिया गया है। शहीद को तो बाद में भी देखा जा सकता है। मरने वाला तो मर गया। मंत्री जी को क्या लेना है? वो तो अपनी कुर्सी बचाने में लगे रहते हैं। मंत्री और मुख्यमंत्री एयरपोर्ट पर नहीं आए, इसी से तो पता चलता है कि हमारी सरकार सेना को कितना मदद कर रही है।” बता दें कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी पटना में एक रैली को संबोधित किया। इस रैली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय, लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान सहित एनडीए के बड़े नेता मंच पर मौजूद रहे। रैली की शुरूआत में पीएम मोदी ने कहा, “बिहार के शहीदों को नमन करता हूं।”
पीएम मोदी के इस बयान पर राजद के राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने ट्वीट कर कहा, “जी हां! और एक बिहार के शहीद सपूत का पार्थिव शरीर टुकुर टुकुर इंतज़ार करता रहा कि सत्ता प्रतिष्ठान से कोई तो आएगा। मुल्क के शहीदों को अपनी गदली और संकीर्ण राजनीति में ना घसीटीए हुजूर।”
राजद नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा, “पटना में बीजेपी और नीतीश कुमार द्वारा आज शहीद पिंटू सिंह को श्रद्धांजलि नहीं देकर इन फर्जी राष्ट्रवादियों ने शहादत का अपमान किया है। यही फर्जी लोग सेना और जवानों के नाम पर टेसू बहायेंगे। संकल्प रैली में शहीदों को अपमानित करने का संकल्प लेंगे क्या?”
बता दें कि पिंटू मूल रूप से बिहार के बेगूसराय जिले के बखरी प्रखंड के बगरस ध्यानचक्की गांव के रहने वाले थे। वे शुक्रवार की शाम उत्तरी कश्मीर के बाबूगुंड हंदवाड़ा में शहीद हो गए थे। उनकी शादी वर्ष 2011 में हुई थी। वे अपने पीछे पत्नी और पांच साल की बेटी को छोड़ गए।