नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश में स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र (पीआरसी) के विरोध में प्रदर्शन, हिंसा और आगजनी के बाद राज्य की भाजपा सरकार ने यू-टर्न ले लिया है। भारी विरोध को देखते हुए सरकार ने पीआरसी प्रस्ताव को रद कर दिया है। दरसअल, सरकार का यह फैसला तब आया है जब कर्फ्यू को धता बताते हुए प्रदर्शनकारियों ने ईटानगर में रविवार (24 फरवरी) को राज्य के उप-मुख्यमंत्री चाउना मीन के निजी आवास को कथित तौर पर आग के हवाले कर दिया। उपायुक्त के दफ्तर में तोड़फोड़ की। प्रदर्शनकारी छह समुदायों को स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र दिए जाने की सिफारिश का विरोध कर रहे थे।

हितधारकों से वार्ता करने के बाद संयुक्त उच्चाधिकार समिति (जेएचपीसी) ने ऐसे छह समुदायों को स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र देने की सिफारिश की है जो मूल रूप से अरुणाचल प्रदेश के नहीं हैं, लेकिन दशकों से नामसाई और चांगलांग जिलों में रह रहे हैं। इन समुदायों में देओरिस, सोनोवाल कचारी, मोरंस, आदिवासी, मिशिंग और गोरखा शामिल हैं। इनमें से अधिकतर को पड़ोस के असम में अनुसूचित जनजाति माना जाता है।

जेएचपीसी की सिफारिश शनिवार को विधानसभा में पटल पर रखी जानी थी, लेकिन स्पीकर द्वारा सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए जाने के कारण इसे पेश नहीं किया जा सका। इस बीच इसके विरोध में पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन और हिंसा शुरू हो गया। शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश के लोगों से अपील की कि वे संयम बरतें और शांति कायम रखें।

पुलिस ने बताया कि शुक्रवार को पुलिस फायरिंग में जख्मी हुए एक शख्स के एक अस्पताल में दम तोड़ देने के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने सड़कों पर मार्च किया और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। प्रदर्शनकारियों ने यहां नीति विहार इलाके में उप-मुख्यमंत्री के निजी आवास को आग के हवाले कर दिया और ईटानगर के उपायुक्त कार्यालय में तोड़फोड़ की। पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने ईटानगर पुलिस थाने और राज्य की राजधानी की कई सार्वजनिक संपत्तियों पर भी हमला किया।

शनिवार को प्रदर्शनकारियों की ओर से की गई पत्थरबाजी में 24 पुलिसर्किमयों सहित 35 लोगों के जख्मी होने के बाद ईटानगर और नाहरलगुन में बेमियादी कर्फ्यू लगा दिया गया था। सेना ने शनिवार को ईटानगर और नाहरलगुन में फ्लैग मार्च किया। दोनों जगहों पर इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई हैं। पुलिस ने बताया कि सारे बाजार, पेट्रोल पंप और दुकानें बंद हैं और ईटानगर की ज्यादातर एटीएम में नगद नहीं है।

वहीं हिंसा के मद्देनजर राज्य में भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 1,000 कर्मी भेजे गए हैं। हिंसा की घटना में अब तक 2 लोगों की मौत की खबर है। इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ईटानगर और अन्य हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में तैनाती के लिए आईटीबीपी की 10 अतिरिक्त कंपनियां भेजी हैं।

अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार स्थानीय प्रशासन की आवश्यकता के अनुसार इन अर्द्धसैनिकों की तैनाती करेगी। राज्य में आईटीबीपी की पांच कंपनियां पहले ही तैनात की जा चुकी हैं। अर्द्धसैनिक बल की एक कंपनी में 100 कर्मी होते हैं। अधिकारियों ने बताया कि आईटीबीपी कर्मियों को तात्कालिक आवश्यकता के आधार पर भेजा गया है क्योंकि ईटानगर और अन्य क्षेत्रों में रविवार को व्यापक हिंसा हुई और संपत्ति तथा वाहनों को भारी नुकसान पहुंचा।