समस्याओं से लड़ने के लिए अपने भीतर बहुत ताकत रखती हैं महिलाएं: शबाना आजमी
यूपी के आजमगढ़ में आयोजित 'जश्न-ए-जिन्दगी' कायक्रम में शामिल होते हुए दिग्गज अभिनेत्री शबाना आज़मी ने कहा कि महिलाएं समस्याओं को दूर करने के लिए अपने भीतर बहुत ताकत और लचीलापन रखती हैं। ‘मैं कुछ भी कर सकती हूं’ ऐसी कई महिलाओं की कहानी है और मैं उनकी सफलता का जश्न मनाने के लिए-जश्न-ए-जिंदगी ’में शामिल हो कर खुश हूं। प्रेरक कविता के साथ इस सफलता का जश्न मनाने से बेहतर और क्या हो सकता है?
आपको बता दें कि बिहार के सिवान, यूपी के शिवली और राजस्थान के अलवर में पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई), बॉम्बे लोकल पिक्चर्स के सहयोग से आयोजित होने वाले 'गीत संगीत', समारोहों को मिली भारी प्रतिक्रिया के बाद, यूपी के आजमगढ़ में 'जश्न-ए-जिन्दगी' का आयोजन किया गया। 'जश्न-ए-ज़िन्दगी' संगीत कार्यक्रमों की ऐसी श्रृंखला का हिस्सा है, जिसमें पीएफआई की टेलीविज़न ड्रामा सीरीज़ 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' के सीज़न 3 को प्रमोट करने के लिए लोकप्रिय स्थानीय कलाकार अपना प्रदर्शन देते है।
‘जश्न-ए-ज़िन्दगी’ में दिग्गज अभिनेत्री शबाना आज़मी के अलावा प्रसिद्ध हरिहरपुर घराने की गायक पूर्णिमा उपाध्याय और शंभूनाथ मिश्रा की प्रस्तुतियाँ थी। कवि मयंक आज़मी के साथ जाने-माने गायक शाह आलमसवारिया और सपना बनर्जी भी कार्यक्रम का हिस्सा थे। पीएफआई ने मार्च 2014 में एक अनूठी ट्रांसमीडिया एडुटेनमेंट पहल, मैं कुछ भी कर सकती हूं, को लॉन्च किया था। यह सीरिज उन सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंडों को चुनौती देता है, जो महिलाओं और लड़कियों की खराब स्थिति के जिम्मेवार हैं। डीडी नेशनल, डीडी क्षेत्रीय केंद्र, डीडी इंडिया और 216 रेडियो स्टेशनों पर एमकेबीकेएसएच के 131 एपिसोड को 50 देशों और 12 भाषाओं में प्रसारित किया गया है।
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तरेजा ने बताया कि वे आजमगढ़ और उसके आसपास के लोगों के साथ जुड़ना चाहती हैं। उनसे कविता और संगीत के माध्यम से ‘मैं कुछ भी कर सकती हूं’ व महिलाओं के अधिकारों के बारे में बात करना चाहते हैं। शो के निर्माता फ़िरोज़ अब्बास ख़ान ने कहा कि महिलाएँ ही सच्ची परिवर्तन निर्माता हैं और ऐसी महिलाओं की भावना का जश्न केवल एक तरीके से नहीं मनाया जा सकता है। इस बार, आजमगढ़ में मुशायरा के माध्यम से ऐसी महिलाओं की सफलता का जश्न मनाया जाएगा।
यह शो एक युवा डॉक्टर, डॉ स्नेहा माथुर की प्रेरक यात्रा के इर्द-गिर्द घूमती है, जो मुंबई में अपने आकर्षक करियर को छोड़कर अपने गांव में काम करने का फैसला करती है। यह शो सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा की बेहतरीन गुणवत्ता सुनिश्चित करने के डॉ. स्नेहा की लडाई पर केंद्रित है। उनके नेतृत्व में, गाँव की महिलाएँ सामूहिक कार्रवाई के ज़रिए अपनी आवाज़ उठाती हैं। दूसरे सीज़न में महिलाओं के साथ युवाओं पर विशेष ध्यान दिया गया था। नए स्लोगन मैं देश का चेहरा बदल दूंगी, के साथशो की नायक डॉ. माथुर ने स्वच्छता और स्वच्छता तक पहुंच सहित नए मुद्दों को उठाने की योजना बनाई है। तीसरे सीजन का पहला एपिसोड गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी को डीडी नेशनल पर प्रसारित हुआ। पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया, मैं कुछ भी कर सकती हूं के तीसरे सीजन के निर्माण के लिए आरईसी फाउंडेशन और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा समर्थित है।