परिषदीय स्कूलों की ज्यादातर अध्यापिकाएं सीसीएल पर
वार्षिक परीक्षाएं सिर पर, सरकारी स्कूलों के छात्रों का कोई पुरसाहाल नहीं
लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद को अपने प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालयों की ज्यादातर शिक्षिकाओं के बच्चों की अधिक चिंता है। इसलिए विभाग ने अधिकांश शिक्षिकाओं के चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) को दो-दो, एक-एक महीनों के लिए स्वीकृति देकर उन्हें अवकाश पर भेज दिया है। विभाग को अपने सरकारी स्कूलों के बच्चों की चिंता नहीं है, जबकि अगले महीने ही उनकी वार्षिक परीक्षाएं होनी हैं। चिनहट ब्लाक के अधिकांश स्कूल एकल हो गये हैं। कहीं-कहीं तो स्कूल में तालाबंदी की नौबत आ गयी है। सूत्रों के मुताबिक मजेदार बात तो यह है कि विभाग ने कुछ अध्यापिकाओं पर मेहरबान होकर बिना किसी गहन छानबीन कर बच्चे की फर्जी बीमारी के नाम पर सीसीएल दे रखी है, जबकि अध्यापिकाओं की व्यक्तिगत समस्याओं के लिए विभाग में अन्य अवकाश भी हैं । बेसिक शिक्षा परिषद को अपने अध्यापकों की योग्यताओं पर कुछ ज्यादा ही भरोसा है और वह पूरी तरह से निश्चिंत है कि एकल स्कूल में अब एक ही अध्यापक सारी कक्षाओं के बच्चों को पढ़ा लेगा। वार्षिक परीक्षाएं भी बिना किसी गतिरोध से आराम से करवा लेगा। लेकिन यह बात गले नहीं उतरती कि आखिर विभागीय अधिकारी सीसीएल स्वीकृत करने के मामले में इतने उदार क्यों हो गये हैं? यह आशंका बलवती होती जा रही है कि क्या इसके पीछे कोई ‘खेल’ तो नहीं चल रहा? वैसे ही वर्तमान में सरकारी स्कूलों की शिक्षा की बदहाली से लोग अपने बच्चों को इन स्कूलों में नहीं भेजते। अगर यही हाल रहा तो इन परिषदीय स्कूलों में स्थायी तौर पर ताला लग जायेगा।