माया की मीडिया को नसीहत, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को तोड़-मरोड़ कर पेश ना करे
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी, जिसमें कह गया कि बसपा प्रमुख मायावती को यूपी में हाथियों की मूर्तियों में खर्च किए गए पैसे को लौटाना चाहिए, पर मायावती की पहली प्रतिक्रिया आई है. मायावती ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर कहा है कि वह इस मामले पर अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट में काफी मजबूती के साथ रखेंगी. दरअसल, नोएडा में लगी हाथी की मूर्तियों के मामले में सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मायावती के वकील को कहा कि अपने क्लाईंट को बता दीजिए की उन्हें मूर्तियों पर खर्च पैसे को सरकारी खजाने में वापस जमा कराना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद मायावती ने आज सुबह ट्वीट किया और इस मामले में मीडिया को भी नसीहत दी. उन्होंने लिखा- 'मीडिया कृप्या करके माननीय सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को तोड़-मरोड़ कर पेश ना करे. माननीय न्यायालय में अपना पक्ष ज़रूर पूरी मजबूती के साथ आगे भी रखा जायेगा. हमें पूरा भरोसा है कि इस मामले में भी न्यायालय से पूरा इंसाफ मिलेगा. मीडिया व बीजेपी के लोग कटी पतंग ना बनें तो बेहतर है.'
मायावती ने एक और ट्वीट किया- 'सदियों से तिरस्कृत दलित व पिछड़े वर्ग में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों के आदर-सम्मान में निर्मित भव्य स्थल/स्मारक/ पार्क आदि उत्तर प्रदेश की नई शान, पहचान व व्यस्त पर्यटन स्थल हैं, जिसके आकर्षण से सरकार को नियमित आय भी होती है.' इस ट्वीट से ऐसा लग रहा है कि वह अपनी सरकार द्वारा बनाए गए स्मारक और पार्क आदि के फैसले का बचाव कर रही हैं.
दरअसल, मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि हमारा विचार है कि मैडम मायावती को मूर्तियों का सारा पैसा अपनी जेब से सरकारी खजाने को भुगतान करना चाहिए. मायावती की ओर से सतीश मिश्रा ने कहा कि इस केस की सुनवाई मई के बाद हो, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें कुछ और कहने के लिए मजबूर न करें. अब इस मामले में 2 अप्रैल को सुनवाई होगी.