बढ़ते ई-कचरे को संभालना एक कठिन समस्या है:पूजा अग्रवाल
लखनऊ: भारत में जिम्मेदार इलेक्ट्रॉनिक कचरा (ई-कचरा) प्रबंधन समाधानों को विकसित करने और कार्यान्वित करने में लगे तकनीकी सक्षम निर्माता उत्तरदायित्व संगठन (पीआरओ), करो संभव, ने आज कुंवर्स ग्लोबल स्कूल, लखनऊ में सम्मान समारोह का आयोजन किया। ई-कचरे की रीसाइक्लिंग के प्रति जागरूकता फैलाने और छात्रों को प्रेरित करने के उद्देश्य के साथ शुरू किए गए चार माह लंबे स्कूल कार्यक्रम के सफल तरीके से पूरा होने पर इस समारोह का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि के तौर पर श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी की प्रो-चांसलर और प्रसिद्ध शिक्षाविद श्रीमती पूजा अग्रवाल उपस्थित थीं।
मुख्य अतिथि श्रीमती पूजा अग्रवाल ने कहा, ‘‘हम इस तथ्य की अनदेखी करते हैं कि बढ़ते ई-कचरे को संभालना एक कठिन समस्या है। हम सभी को इसके लिए कुछ करना होगा दृ सबसे पहले सामूहिक रूप से इसके बारे में सोचना शुरू करें। करो संभव ने ई-कचरे के मुद्दे पर जागरूकता फैलाने और इस समस्या के बारे में युवाओं को सोचने के लिए प्रोत्साहित करने वाले नेक काम की ओर कदम बढ़ाया है। अगली पीढ़ी होने के नाते, बच्चों के दिमाग में यह बात होनी चाहिए कि यह समस्या मेरी है और इसे हल करने के लिए इन्नोवेटिव उपाय खोजें। मेरे लिए, यह एक बहुत बड़ी सीख है और मेरा दृष्टिकोण लालच पर अंकुश लगाना, समस्या को कम करना और मूल बातों की ओर लौटना होगा। इस आंदोलन के लिए मैं अपनी शुभकामनाएं देती हूं।’’
कक्षा 5 से 10 तक के छात्रों के लिए तैयार किए गए इस कार्यक्रम को लखनऊ के 20 स्कूलों में लागू किया गया। सम्मान समारोह में छात्रों, शिक्षकों और स्कूलों को विभिन्न श्रेणियों में सम्मानित किया गया। एलेन हाउस पब्लिक स्कूल को दो श्रेणियों-सबसे ज्यादा ई-कचरे का संग्रहण और बेस्ट टूल किट एक्जेक्यूशन के लिए पुरस्कार प्रदान किया गया। बुद्धा पब्लिक स्कूल के जूपिटर संकल्प को बेस्ट सोशल मीडिया ड्राइव के लिए पुरस्कार दिया गया। एलेन हाउस पब्लिक स्कूल की शिखा जोशी को दो पुरस्कार बेस्ट कम्यूनिटी आउटरीच प्रोग्राम और बेस्ट टूलकिट एक्जेक्यूशन बाई टीचर प्रदान किए गए।
इस कार्यक्रम की सफलता के बारे में बात करते हुए करो संभव के संस्थापक प्रांशू सिंघल ने कहा, “बच्चे परिवर्तन लाने में सक्षम हैं और उनके पास पर्यावरण की चुनौतियों से निपटने की क्षमता है। करो संभव के स्कूल प्रोग्राम को बच्चों को संवेदनशील बनाने और ई-कचरे का जिम्मेदारी से निपटान के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह एक सुरक्षित निपटान ईकोसिस्टम को सुनिश्चित करेगा।’’
प्रमुख पार्टनर्स एप्पल, डेल, एचपी, लेनोवो सहित अन्य द्वारा समर्थित इस कार्यक्रम का लक्ष्य छात्रों के बीच गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं जैसे इलेक्ट्रीकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से निकलने वाले कचरे (डब्ल्यूईईई) के प्रति जागरूकता फैलाने के साथ ही साथ रक्षात्मक पर्यावरणीय रणनीतियां बनाने और अपने दैनिक जीवन में कदम उठाने के लिए प्रेरित करना है। कार्यक्रम के अन्य पार्टनर्स में शामिल हैं शाओमी, एम-टेक, सेवेक्स, सुपरट्रोन, इनफ्लो और एचएमडी। जागरूकता फैलाने, क्षमता निर्माण और जानकारी साझा करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत के लिए स्थायी ई-कचरा समाधान उपलब्ध कराने के लिए करो संभव ने अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी), जो विश्व बैंक का एक हिस्सा है, के साथ साझेदारी की है।
आईएफसी के इंडिया ई-वेस्ट प्राोग्राम के लिए प्रोग्राम मैनेजर सरीना बोला ने कहा, “टेक्नोलाॅजी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है और भविष्य की पीढ़ियों को जागरूक करना उन्हें इलेक्ट्रॉनिक कचरे का अधिक जिम्मेदार से उपयोग और डिस्पोजेबल के प्रति सक्षम बनाएगा। हम छात्रों को इस अभियान में शामिल होने और भारत में एक जिम्मेदार और टिकाऊ ई-अपशिष्ट प्रबंधन पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में हमारे उद्देश्य का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।“
कार्यक्रम की प्रभावकारिता बढ़ाने के लिए, कार्यक्रम के पाठ्यक्रम को 7 अभ्यासों के टूलकिट के रूप में डिजाइन किया गया ताकि भाग लेने वाले शिक्षकों की क्षमता का विकास किया जा सके और विद्यार्थियों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने के लिए उन्हें सशक्त बनाया जा सके। इसके अलावा, जुआना टेक्नोलाॅजीज, जो उत्तर प्रदेश में करो संभव का निष्पादन भागीदार है, द्वारा चयनित भागीदार स्कूलों के साथ निरंतर क्षेत्र यात्राओं और संचार के आधार पर पुरस्कार प्रदान किए गए।
जुलाई 2017 से, करो संभव ने राज्यों के शिक्षा विभाग और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर पूरे भारत में 1800 से अधिक स्कूलों तक अपनी पहुंच बना चुका है।