पुस्तक मेले में लखनवी साहित्य कला संगीत का चेहरा दिखा रहीं हैं किताबें
दिलचस्प है हिन्दी वांग्मय निधि का शहर पर 42 शोधपरक किताबों का बुकसेट
लखनऊ: संगीत नाटक अकादमी परिसर गोमतीनगर में 10 फरवरी तक चलने वाले लखनऊ पुस्तक मेले और अंकुरम शिक्षा महोत्सव में वर्षा के बावजूद पुस्तक प्रेमियों की रुचि दिखाई दे रही है। यहां सूबे के 11 जिलों से आई बाल प्रतिभाओं के कार्यक्रम भी देखने को मिल रहे हैं तो साहित्य प्रेमियों के लिए साहित्यक-सांस्कृतिक आयोजन भी चल रहे है।
‘महापर्व कुम्भ’ थीम पर आधारित पुस्तक मेले में साहित्य और पाठयक्रम की किताबों के संग ही कला विषयक किताबें भी खासी तादाद में हैं। हिन्दी वांग्मय निधि के स्टाल पर लखनवी इमारतों, परम्पराओं, फिल्मों में योगदान, कथक व यहां की संस्कृति पर केन्द्रित और विद्वानों द्वारा जुटायी जानकारी के आधार पर तैयार की गई छोटी-छोटी 42 किताबों का सेट है। एक किताब 20 रुपये की है। सेट में दो किताबें- लखनऊ की मड़ियांव छावनी व लखनऊ की आकाशवाणी एकदम नई पुस्तकें हैं।यहीं स्थानीय लेखकों-कवियों की पुस्तकें भी रखी गई हैं। आकाषवाणी लखनऊ के स्टाल पर बिस्मिल्लाह खान, बेगम अख्तर जैसे दिग्गज संगीतकारों- कलाकारों और हरिशंकर परसाई जैसे रचनाकारों की सीडी हैं। कथक का डीवीडी सेट और रामचरित मानस समग्र की सीडी यहां खास है। तिरुमाला साफ्टवेयर के स्टाल पर बोलती रामायण में भी आगंतुक रुचि दिखा रहे हैं। पुस्तक मेले में किताबों पर आधारित प्रदेश के 20 कलाकारों की कलाकृतियों की प्रदर्शनी भी खूब सराही जा ही रही है।
विशाल एलईडी स्क्रीन पर आई-केअर के कार्यक्रमों की जानकारी दी जा रही है। संस्था के अंकुरम शिक्षा महोत्सव के छठे दिन यूपी त्रिपाठी के संयोजन, आशीष व जीतेश श्रीवास्तव के संचालन में अंशिका त्यागी, वागीशा पंत, शिवांग मिश्रा, प्रियांषी, समृद्धि व परनिका श्रीवास्तव जैसे बच्चों की नृत्य प्रस्तुतियां देखने को मिलीं। इसके अलावा वरदान पोरवाल व वरदान वर्मा ने नृत्य के साथ ही जोशीला काव्यपाठ किया। कई अन्य बच्चों ने भी मंच पर अपनी प्रतिभा दिखायी। इससे पहले सुंदरम साहित्य संस्थान के काव्य समारोह में काव्य चर्चा के साथ रचनाओं का पाठ हुआ। संगीत नाटक अकादमी की सभापति डा. पूर्णिमा पाण्डेय की अध्यक्षता में बस्ती के शान्ति सेवा व संस्कृति मिशन की ओर से हुए आयेजन में डा.विद्याविंदु सिंह, रामबहादुर मिसिर, डा.करुणा पाण्डे व शीला पाण्डेय ने लोक संस्कृति में नारी चेतना विषयक परिचर्चा में मार्मिक गीतों के उदाहरण रखते हुए विचार व्यक्त किए। इसी क्रम में बालेन्दु द्विवेदी के पुस्तक पर चर्चा के बाद नवगीत पर्व में कुमार रवीन्द्र के नवगीतों पर रचनाकारों ने अपनी बात रखी। साथ ही नवगीतों का पाठ भी हुआ।