मालिनी अवस्थी शान ए लखनऊ सम्मान से अलंकृत
लखनऊ: आधुनिकता चाहे जितनी भी हावी हो जाए, हमारी अपनी लोक संस्कृति-लोक परम्पराओं का स्वरूप किसी न किसी रूप में हमें आनन्दित करता रहेगा। संगीत नाटक अकादमी परिसर गोमतीनगर में 10 फरवरी तक चलने वाले लखनऊ पुस्तक मेले में यह विचार मेला समिति की ओर से सम्मानित हुई गायिका मालिनी अवस्थी ने व्यक्त किये। सुबह 11 बजे से रात नौ बजे और 10 फरवरी तक अंकुरम शिक्षा महोत्सव के साथ चल रहे इस पुस्तक मेले में प्रवेश निःशुल्क है।
सुश्री मालिनी अवस्थी ने सम्मान के लिए मेला आयोजकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि किताबों से मुझे भी बहुत प्रेम है, इसी नाते इस सम्मान को किताबों के बीच पाकर मैं गर्व का अनुभव कर रही हूं। संस्कारित करने वाली पुस्तकों पर आधारित यह मेला भी ज्ञान का कुम्भ बना हुआ है। इसकी थीम भी ‘महापर्व कुम्भ’ है। उन्होंने कहा कि लोक और हमारी शास्त्रीय कलाओं की अपनी गरिमा और स्थान है जो छीना नहीं जा सकता। अपनी गुरु गिरिजादेवी का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा- मैंने अपने गुरु और मिले संस्कारों की बदौलत ही लोगों का इतना स्नेह पाया है। उन्हें सम्मानित करने वालों में उ.प्र.ओलम्पिक संघ के उपाध्यक्ष टी.पी.हवेलिया, संयोजकद्वय मनोज सिंह चंदेल-आकर्ष चंदेल, आईकेअर के मिषन लीडर अनूप गुप्ता व सुधीर शर्मा शामिल थे।
मेले में युवाओं के लिए भी खासी सामग्री है। प्रकाशन संस्थान के स्टाल पर युवाओं के लिए विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की बेहतर सामग्री और उपयोगी पुस्तकें हैं तो हाईस्कूल-इण्टर की सभी विषयों की तैयारी करने योग्य किताबें भी हैं। मेले के स्टालों में इण्टर तक लगभग सभी विषयों की सीडी-डीवीडी भी हैं। परिवहन विभाग की ओर से यहां सड़क सुरक्षा सप्ताह के अंतर्गत सड़क सुरक्षा पर बाल चित्रकला प्रतियोगिता भी चल रही है। अन्य स्टालों पर भी युवाओं के लिए उपयोगी सामग्री है। मेला संयोजक मनोज सिंह चंदेल ने बताया कि यह मेला बच्चों और युवाओं की सोच और जरूरत के अनुरूप ही लगाने का हमारा प्रयत्न रहता है। प्रमुख रूप से मेले में दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद, नोएडा, चण्डीगढ़ और स्थानीय प्रकाशकों के स्टाल हैं। पुस्तकों के अलावा यहां लोगों को लेदर वर्क और कोलकाता के जूट बैगों का स्टाल भी पसंद आ रहा है।
आज सांस्कृतिक मंच पर पोएट हाउस के युवा रचनाकारों मोहम्मद आजम, प्रज्ज्वल मिश्रा, पुष्पेन्द्र श्रीवास्तव, आदर्श श्रीवास्तव, आशीष सिंह, फुरकान अहमद, अशरफ अली, अमित हर्ष, पीयूष प्रताप सिंह, शेखर त्रिपाठी, अनुराग अरविंद, शोभित मिश्रा व शायरा इसार ने खुदाओं की दुनिया चलता फिरता सामान बनाती है, ये मुहब्बत है जो इंसान को इंसान बनाती है, तुमको ही लिखता हूं तुमको ही गाता हूं व दरवाजा खोल के समंदर बुला रही थी जैसी रचनाएं सुनाईं। इसी क्रम में काव्य क्षेत्रे संस्था का सम्मान समारोह व काव्यपाठ हुआ। गीत विधा पर चली संगोष्ठी में विद्वानों ने सारगर्भित विचार रखे तो यहीं सुलतानपुर के सृजन संस्थान की ओर से कुमार रवीन्द्र की नवगीत यात्रा पर कवियों ने विचार रखे और नवगीत का पाठ किया।