पुस्तक मेले में है बच्चों के लिए ढेर सारी सामग्री
लखनऊ: रजत के हाथ में लम्बे समय तक चलने वाली वाषेबिल प्रैक्टिस बुक थी तो हुमा ने सातवीं क्लास के सभी सब्जेक्ट्स की सीडी खरीदी थी। संगीत नाटक अकादमी परिसर गोमतीनगर में 10 फरवरी तक चलने वाले लखनऊ पुस्तक मेले के आयोजनों में पुस्तक प्रेमियों की उमड़ने वाली भीड़ रजत और हुमा जैसे अपने बच्चों के लिए मनपसंद सामग्री और किताबें ले रहे हैं। पुस्तक मेले में बच्चों के लिए रुचिकर सामग्री है। यहां आने वाले बच्चों को अंकुरम शिक्षा महोत्सव सूबे के 11 जिलों से आई बाल प्रतिभाओं के कार्यक्रम भी देखने को मिल रहे हैं तो साहित्य प्रेमियों के लिए फिल्म से सम्बंधित और साहित्यक आयोजन भी चल रहे है। सुबह 11 बजे से रात नौ बजे और 10 फरवरी तक चल रहे इस पुस्तक मेले में प्रवेश निःशुल्क है। मेले में कल शान ए लखनऊ सम्मान मालिनी अवस्थी को प्रदान किया जायेगा।
‘महापर्व कुम्भ’ थीम पर आधारित पुस्तक मेले तिरुमाला साफ्टवेयर के स्टाल पर बोलती रामायण हर किसी को आकर्षित कर रही है। इसके साथ ही यहां सामान्य फाइल के आकार में छोटे बच्चों के लिए हिन्दी अंग्रेजी, मैथ्स, ड्राइंग इत्यादि के लिए लिखो और मिटाओ वाशेबल प्रैक्टिस बुक भी लोगों को भा रही है। चार्ट और अभ्यास पुस्तिकाएं मेले के अन्य स्टालों की तरह यहां खूब हैं। पहली क्लास से लेकर उच्च कक्षाओं की लगभग सभी विषयों की सीडी-डीवीडी भी वार्षिक परीक्षाओं के नजदीक पसंद की जा रही हैं। कलाकुंज के स्टाल पर बच्चों के चार्ट, कामिक्स खूब हैं तो सुभाष पुस्तक के यहां अमर चित्र कथाएं, इंग्लिश कामिक्स, स्टोरी बुक्स व एक्टिविटी बुक्स-वर्कबुक्स बहुत हैं। रामकृष्ण मठ के स्टाल पर प्रेरक बाल साहित्य खूब है। परिवहन विभाग की ओर से यहां सड़क सुरक्षा सप्ताह को देखते हुए यातायात निशानियों को समझने के लिए एक नन्हा बाल पार्क भी बनाया गया है। साथ ही सड़क सुरक्षा पर बाल चित्रकला प्रतियोगिता भी चल रही है। अन्य स्टालों पर भी नई प्रकाशित किताबों के साथ बच्चों के लिए रोचक ज्ञानवर्धक सामग्री है। मेला सह संयोजक आकर्ष चंदेल ने बताया कि ये मेला बच्चों की गतिविधियों का बहुमुखी मंच है। यहां बच्चों को ज्ञानवर्धन के साथ अपनी बात कहने, प्रतिभा दिखाने का मंच है।
आई-केअर के अंकुरम शिक्षा महोत्सव के चौथे दिन आशीष व जीतेश श्रीवास्तव के संचालन में कन्नौज से आए प्रसेनजीत-प्रखर ने नृत्य प्रस्तितयां दी। उल्लेखनीय नृत्य प्रस्तुतियां वैष्णवी व संचयिता बेरा की भी रहीं। सिमरन की तरह कई बच्चों ने जोश से भरी कविताएं सुनाईं। अमन की प्रस्तुति के बाद रिदम-संचयिता ने युगल नृत्य प्रस्तुत किया। शाम को सांस्कृतिक मंच पर सामाजिक व मानवीय विषयों पर केन्द्रित प्रतिरोध का सिनेमा के तहत सिनेमा की भाषा व नया सिनेमा पर दिल्ली के फिल्म विशेषज्ञ संजय जोशी ने अनेक फिल्मों, वृत्तचित्रों और नये दस्तावेजी सिनेमा के अंषों का प्रदर्शन करते हुए कहा कि 1995 के बाद आई नई तकनीकों से दस्तावेजी सिनेमा तेजी से बदला और फिल्म बनाना व दिखाना आसान हो गया। आज के सबसे सशक्त माध्यम फिल्म और टीवी में बगैर शब्दों के भी दृश्य भाषा बनते हैं। इससे किसी भी विषय पर जागरूक करना आसान हो जाता है। लेखक से संवाद के अंतर्गत आज साहित्य प्रेमियों के सम्मुख रचनाकार जय सिंह अपने रचना संसार के साथ थे। इससे पहले सिनेमा मे साहित्य विषय पर भी चर्चा चली।