किसान नेताओं ने बजट को बताया, ऊंट के मुंह में जीरा
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने अपने अंतरिम बजट में किसनों को खुश करने की कोशिश की है, लेकिन किसान बजट से बहुत ज्यादा संतुष्ट नहीं दिख रहेे। किसानों ने सालाना 6 हजार रुपए की आर्थिक सहायता को बहुत कम बताया है।
किसानों का कहना है कि एकड़ में एक सीजन में ही फसल उत्पदान की लागत लगभग 15 हजार रुपए आती है। अगर उन्हें सालाना 6 हजार रुपए की सहायता दी जा रही है, तो इससे जोताई का खर्च तक नहीं निकलेगा।
किसानों का कहना है कि यह सिर्फ तत्कालीन राहत तक ही सीमित है। वहीं किसान नेताओं ने बजट को ऊंट के मुंह में जीरा बाताया है। सरकार बजट को किसान हितैषी बताकर अपनी पीठ थपथपा रही है। वास्तव में बजट को लेकर प्रदेश के किसान व किसान नेताओं का क्या कहना है, इसको लेकर उनसे बजट विशेष पर बातचीत की गई।
ग्राम बोराई के किसान तेजराम साहू का कहना है कि उनके पास एक एकड़ कृषि भूमि है। इसमें एक सीजन में फसल उत्पादन की लागत लगभग 15 हजार रुपए तक आती है। सरकार ने जो सालाना 6 हजार रुपए देने की बात कही है, उससे एक सीजन की खेती तक नहीं होगी। फिर भी इस आर्थिक सहायता से हम जैसे छोटे किसानों को तात्कालिक राहत मिलेगी।
दुर्ग जिले के किसान राजेंद्र साहू का कहना है, उनके पास 7 एकड़ कृषि भूमि संयुक्त खाते में है। ऐसे में इस बजट से मिलने वाली आर्थिक सहायता राशि से संयुक्त खाताधारक किसान वंचित होंगे।
सरकार ने कृषि के लिए 75 हजार करोड़ का जो बजट प्रस्तुत किया है, वह एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले देश के लिहाज से बहुत कम है। देश का किसान इस उम्मीद में था कि सरकार कर्ज माफ करेगी। फसलों के लिए उचित बाजार मूल्य की व्यवस्था करेगी, लेकिन किसानों को सिर्फ 5 सौ रुपए प्रति महीने का झुनझुना पकड़ा दिया गया है। यह बजट किसानों के लिए लाभकारी होगा ऐसा सोचना बिलकुल सही नहीं है।- संकेत ठाकुर, किसान नेता
इस बजट में किसानों के लिए सुरक्षित बाजार व आपदा क्षतिपूर्ति को लेकर कोई बात नहीं है, जबकि यह देश के किसानों की सबसे बड़ी समस्या है। इतना ही नहीं, किसानों को पूरे बारह माह समर्थन मृल्य में खरीफ व रबी दोनों ही तरह की फसलाें के लिए उचित मूल्य बाजार उपलब्धता की दिशा में किसी तरह की पहल नहीं की गई।- झबेंद्र वैष्णव, किसान नेता