पटना: बिहार के भागलपुर में हुए सृजन घोटाला करीब 1900 करोड तक पहुंच गया है. सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है, लेकिन बीते दो सालों में इसमें बहुत कामयाबी नहीं मिली है. ऐसे में यह घोटाला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन के दावे पर एक बहुत बडा 'दाग' बनकर उभरा है. इसमें सरकार के कई बडे अधिकारियों और नेताओं की संलिप्तता भी उजागर हुई.

उल्लेखनीय है कि यह घोटाला भागलपुर, बांका और सहरसा जिले में सरकारी फंड के गबन से जुडा है. बिहार सरकार ने इस घोटाले का सच सामने आने के बाद जांच के आदेश दिए थे. इसके बाद एसआइटी की टीम मामले की जांच कर रही थी. लेकिन विपक्ष के हमले के बीच 13 अगस्त 2017 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सृजन घोटाले की सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी थी.

सीबीआई ने सृजन घोटाले में 25 अगस्त 2017 को प्राथमिकी दर्ज करते हुए इसकी जांच शुरू की. सीबीआई इस मामले में अब तक 12 प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है. साथ में आरोप पत्र भी दायर कर चुकी है. वर्तमान में इस घोटाला के 15 आरोपित अभी जेल में हैं. इस बहुचर्चित घोटाला मामले में सृजन की सचिव प्रिया कुमार, अमित कुमार और जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी राजीव रंजन सिंह के खिलाफ वारंट जारी किया गया है.

इन सभी के खिलाफ भागलपुर के सीजीएम कोर्ट ने ये वारंट जारी किया है. इस चर्चित घोटाला से जुडे दर्जनों आरोपितों तक पहुंचने के लिए सीबीआई लगातार प्रयासरत है. लेकिन मुख्य अभियुक्त तक सीबीआई अभी तक नही पहुंच पाई है. बल्कि वह यह भी पता लगाने में विफ्ल साबित हुए हुई है कि सृजन की सचिव प्रिया कुमार, अमित कुमार कहां छुपे हैं?