मुस्लिम पक्षकारों ने जताई आपत्ति, सरकार की मंशा पर उठाये सवाल

नई दिल्ली : अयोध्या में राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद की विवादित जमीन के आसपास की 67 एकड़ गैर-विवादित भूमि उसके वास्तविक मालिकों को लौटाए जाने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता राम माधव ने मंगलवार को कहा कि यह लंबे समय की मांग थी। उन्होंने कहा कि जिस भूमि को वापस करने की मांग की गई है उस पर कोई विवाद नहीं है। भाजपा नेता ने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट शीघ्र ही इस मामले की सुनवाई करेगा।

भाजपा नेता ने कहा, 'राम जन्मभूमि न्यास लंबे समय से अपनी भूमि वापस करने की मांग कर रहा था। 1993 में तत्कालीन सरकार ने 67 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जिसमें से 42 एकड़ भूमि राम जन्मभूमि न्यास की है। न्यास 1996 से अपनी भूमि वापस किए जाने की मांग करता आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस जमीन पर यथास्थिति बहाल की गई थी लेकिन अब न्यास अपनी भूमि मांग रहा है।'

वहीं, मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने केंद्र सरकार के इस पर कदम पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने गैर-विवादित भूमि पर यथास्थिति बहाल रखने का आदेश दिया है, ऐसे में सरकार का कोर्ट में जाना उसकी तटस्थता पर सवाल खड़ा करता है।

अयोध्या मामले में पक्षकार हाजी महबूब ने भी सरकार के इस कदम पर आपत्ति जताई है। हाजी महबूब ने कहा, 'कोर्ट में केस है तो इसका फैसला हो जाने दीजिए। सुप्रीम कोर्ट जो फैसला करेगा उसे सभी मानेंगे। सब लोग जानते हैं कि यहां राजनीति की जा रही है। भाजपा की सरकार है। मोदी सरकार यदि दो-चार साल पहले यह कदम उठाती तो इसे ठीक कहा जा सकता था। हम जानते हैं कि यह बहुत बड़ा 'गेम' है। अगर ऐसा हुआ तो याद रखिए यह मुल्क जलेगा, बचेगा नहीं।'

केंद्र सरकार ने कहा है कि राम जन्मभूमि न्यास ने 1993 में हिंदू पक्षकारों की अधिग्रहित भूमि उसके वास्तविक मालिकों को लौटाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में विवादित स्थल के पास अधिग्रहित की गई 67 एकड़ भूमि पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।

बता दें कि सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह गैर-विवादित भूमि पर यथास्थिति हटाते हुए 67 एकड़ भूमि उसके वास्तविक मालिकों को सौंप दे। सरकार ने अपनी अर्जी में कहा है कि उसने राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद की विवादित 2.77 एकड़ जमीन के आसपास 67 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया है।