बुलंदशहर हिंसा: मुख्य आरोपी के घर से मिला मारे गए इंस्पेक्टर का मोबाइल फोन
बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर हिंसा के दौरान मारे गए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार का मोबाइल फोन मुख्य आरोपी प्रशांत नट के घर से बरामद किया गया है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने यह जानकारी रविवार (27 जनवरी) को दी। एएनआई के अनुसार, एसपी अतुल श्रीवास्तव ने कहा, “हमें मोबाइल फोन के लोकेशन के बारे में जानकारी मिली। अब हम इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के पिस्तौल की खोजने की कोशिश में जुटे हैं।” गौरतलब है कि बुलंदशहर में बीते साल 3 दिसंबर को कथित गौकशी के बाद हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी गई थी। हिंसा के दौरान भीड़ में शामिल एक युवक की भी मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने सुबोध सिंह की हत्या करने के मुख्य आरोपी प्रशांत नट को पुलिस ने 27 दिसंबर को गिरफ्तार किया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने बुलंदशहर जिले में कथित तौर पर गौकशी के आरोप में तीन लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया था। कहा जाता है कि इस घटना की वजह से ही हिंसा भड़की और दो लोग मारे गए। अभी तक हिंसा की घटना को लेकर कथित तौर पर इंस्पेक्टर को गोली मारने वाले प्रशांत नट, हिंदू संगठन के जिला संयोजक योगेश राज समेत 35 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस द्वारा रिवाल्वर चोरी करने वाले की भी पहचान कर ली गई है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जॉनी ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की रिवॉल्वर चोरी की थी और प्रशांत ने गोली मारी थी। घटना के समय का दो वीडियो भी मिला है, जिसमें जॉनी और प्रशांत एक साथ नजर आए थे।
वहीं, दूसरी ओर बुलंदशहर जिला प्रशासन ने गोकशी मामले में जेल गए तीनों आरोपियों पर रासुका लगाई है। जिलाधीश अनुज कुमार झा ने पुलिस रिपोर्ट के आधार पर अपने आदेश में कहा कि आरोपी अजहर निवासी कैथवाला, नदीम उर्फ नदीमुद्दीन और महबूब अली निवासी चौधरियान, थाना स्याना अपने साथियों के साथ गोकसी में संलिप्त पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि गांव महाब और नयाबांस में इन लोगों के इस कृत्य से लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची। विरोध स्वरूप लोगों ने हिंसात्मक प्रदर्शन किया। साथ ही, पुलिस पर लाठी, डंडों, कुल्हाड़ी आदि से प्रहार कर व गोली मार कर तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक स्याना की हत्या कर दी। संभावना है कि आरोपी जेल से छूटने के बाद साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। इसलिए तीनों आरोपियों को एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) में निरुद्ध किया गया है।