नई दिल्ली: मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने अयोध्या मामले की सुनवाई करने के लिए नई बेंच का गठन किया है। इस बेंच में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर को शामिल किया गया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच जजों की बेंच अब 29 जनवरी को इस मामले की सुनवाई करेगी। अन्य जजों में जस्टिस बोवडे और जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ का नाम शामिल है।

इससे पहले 10 जनवरी को हुई सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन द्वारा आपत्ति जताने के बाद जस्टिस यू यू ललित ने खुद को मामले से अलग कर लिया था। राजीव धवन ने कहा था कि जस्टिस यू यू ललित कल्याण सिंह के खिलाफ क्रिमिनल केस में पक्षकार थे। जस्टिस यू यू ललित ने कहा कि जब वह वकील थे तब वह बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुनवाई के दौरान बतौर वकील एक पक्ष की तरफ से पेश हुए थे और खुद को इस मामले से हटाना चाहते हैं। इस पर, चीफ जस्टिस ने कहा कि सभी ब्रदर्स जजों का मत है कि अयोध्या जमीन विवाद मामले में जस्टिस ललित का सुनवाई करना सही नहीं होगा।

वहीं धवन की इस दलील पर वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि जिस वक्त जस्टिस यूयू ललित कल्याण सिंह की तरफ से पेश हुए थे वो मामला इस मामले से बिल्कुल अलग था। सुनवाई के दौरान सीजेआई रंजन गोगोई ने बताया कि मामले में कुल 88 लोगों की गवाही होगी। इस मामले से जुड़े 257 दस्तावेज रखे जाएंगे जो 13,860 पेज के हैं।

बेंच को यह बताया गया है कि ऑरिजिनल रेकॉर्ड 15 बंडलों में हैं। सीजेआई ने कहा कि कुछ दस्तावेज हिंदी, अरबी, गुरुमुखी और उर्दू में हैं, और अभी यह निश्चित नहीं है कि सभी का अनुवाद हो चुका है या नहीं। इसके साथ ही अयोध्या केस से जुड़े दस्तावेजों के अनुवाद पर भी सवाल उठाया गया। लेकिन अदालत ने अनुवाद के खिलाफ अपील को ठुकरा दिया और कहा कि आप चाहें तो खुद दस्तावेजों का ट्रांसलेशन कर सकते हैं।