संस्कृति और पर्यावरण की रक्षा हमें स्वयं से करनी होगी: जितेन्द्र कुमार
लखनऊ: अगर हम चाहते हैं संस्कृति एवं पर्यावरण की रक्षा हो तो हमें इसकी शुरुआत स्वयं से करनी होगी और अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना होगा। यह बात आज उत्तर प्रदेश राज्य संग्रालय में माइण्डशेयर और संस्कृति विभाग के द्वारा आयोजित पर्यावरण एवं सांस्कृतिक संरक्षण कॉन्क्लेव को सम्बोधित करते हुए प्रमुख सचिव जितेन्द्र कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि इसलिए उन्होंने अपने विभाग से शुरुआत करते हुए पर्यावरण और जानवरों की सुरक्षा के मद्देनज़र लखनऊ प्राणी उद्यान में संस्कृति विभाग की सभी वाहनों का प्रवेश वर्जित कर दिया चाहे वह मेरी ही क्यों न हो और आशा है कि वन विभाग भी जल्द ही ऐसा ही करेगा। उन्होंने छात्रों को कड़ी मेहनत और लगन के साथ अपने लक्ष्य पर चलने के गुर सिखाये और आलोचना को भी एक अवसर के तौर पर लेने का उपदेश दिया। उन्होंने कहा कि संस्कृति के संरक्षण के लिए हमें भारतीय पद्दति को अपनाना होगा तथा जीवनशैली में पौष्टिक शाकाहारी भोजन लेकर न सिर्फ शरीर स्वस्थ होगा बल्कि हमारा पर्यावरण और संस्कृति दोनों का ही संरक्षण होगा। उन्होंने कहा कि हम संस्कृति को धर्म से जोड़कर उसे जाने अनजाने नुकसान पहुंचा रहे हैं बल्कि संस्कृति हमारी जीवनशैली है इसका धर्म से कोई नाता नहीं है। कॉन्क्लेव में प्रो० हर्ष नैथानी की पुस्तक "फॉरेस्ट फ्लोरा फ़्लोरा ऑफ उत्तर प्रदेश" और प्रीती अवस्थी की "कोलिशन पॉलिटिक्स इन इंडिया" का विमोचन हुआ। ज्ञात हो "फॉरेस्ट फ्लोरा फ़्लोरा ऑफ उत्तर प्रदेश" स्वतंत्रता के पश्चात् उत्तर प्रदेश का प्रथम वन प्रलेखीकरण है।
इस अवसर पर प्रख्यात पर्यावरणविद प्रो० खालिद आलम मुनव्वर और प्रो० नवीन कुमार अरोड़ा ने पर्यावरण एवं वन संरक्षण पर व्याख्यान दिए। व्याख्यान में पर्यावरण के क्षेत्र में आधुनिक अनुसन्धान और संरक्षण के उपायों पर विस्तार पर चर्चा की गई और विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों के प्रश्नों के उत्तर दिए। विशेषज्ञों ने असंतुलित जीवनशैली से वन जीवों और जलाशय पर होने वाले प्रभावों की जानकारी दी। कॉन्क्लेव की अध्यक्षता एवं डॉ डेन्ज़िल गोडिन (विधायक एंग्लो इंडियन) ने की और डॉ मौलिनदु मिश्रा और डॉ अंशुमाली शर्मा विशेषज्ञ के तौर पर उपस्थित हुए । आई. आई. टी. दिल्ली के सय्यद ज़ुल्फ़ी ने प्रतिभागियों से व्याख्यान के विषयों पर शोध पत्र लिखने के गुर बताये ।