लखनऊः अगर आप चाहते है कि आप का बच्चा सेहतमंद रहे तो उसको वीडियो गेम, लैपटाँप और मोबाइल गेम से दूर रखें। सुनने में ये जरूर थोड़ा अजीब लग रहा हो लेकिन सच यही है की आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में समय न होने के कारण हम बच्चों को इनडोर गेम खेलने पर जोर देते है। इस तरह हम खुद ही अंजाने में अपने बच्चे की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे है। इनडोर गेम्स के कारण बच्चों का ठीक प्रकार से शारीरिक व्यायाम नहीं हो पाता है ऐसे में उनकी मांसपेशियां कमजोर रह जाती है। जिन दिनों बच्चों को खान-पान और जीवन शैली सिखाई जा सकती थी, हम उन्हें अपने ऊंचे उठते जीवन स्तर का पाठ सिखा रहे थे। भोजन के दौरान कोल्डड्रिंक्स का सेवन बच्चे स्वयं ही नहीं सीख गए। उनकी छोटी बड़ी सभी जरूरतों को आंख मूंद कर पूरा करने की हमारी अपनी गलतियां काफी महंगी साबित हुई। बच्चे तो ठहरे बच्चे। जो आदत पड़ गई, सो पड़ गई। स्कूली उम्र में बच्चों को जैसी शिक्षा मिली, वे वैसे बनते गए।

रेडियस ज्वाइंट सर्जरी के सीनियर कंसलटेंट डा.संजय श्रीवास्तव ने बच्चों की निष्क्रिय जीवनशैली के वजह से हड्डियों व सेहत पर पड़ रहे प्रभाव के बारे में बताते हुए कहा कि हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना बहुत आवश्यक है। सामान्यतया आर्थराइटिस का प्रकोप बुढ़ापे में ही नजर आता है किंतु आजकल दुर्भाग्यवश युवाओं में भी हड्डियों के रोग बढ़ रहे हैं। स्कूली विद्यार्थियों में जोड़ों की सूजन, अस्थि-पंजर ढीले होने की शिकायतें बढ़ रही हैं। ऑस्टियोपोरोसिस की भी शिकायत बढ़ रही है।

डा. संजय ने बताया कि बीते साल 10 से 13 वर्ष की आयु के बच्चों में ऑस्टियोपोरोसिस के मामले में 9 प्रतिशत की वृद्धी हुई जो कि चिंता का विषय है।इसके लिए जिम्मेदार है उनका दोषपूर्ण खानपान, खासकर कोल्डड्रिंक्स जिसमें पेस्टीसाइड तो होते ही हैं, फ्लोराइड भी होता हैं, जिससे शरीर में मौजूद कैल्शियम की पूर्ति रूक जाती हैं। इसलिए ज्यादा से ज्यादा सक्रिय जीवन जीने की कोशिश करें। सुबह की सैर बेहतर होती है, लेकिन समय के अभाव में शाम को भी इसे नियमित रूप से कर सकते है। इनडोर गेम खेलते समय ज्यादा काम नहीं करना पड़ता, जिसके कारण बच्चा आलसी हो जाता है इस कारण मोटापा, पीठ दर्द जैसी तकलीफों भी होना आम है। जबकि अगर बच्चे को शुरू से ही दौड़ने वालेखेलों का खिलाया जायें तो इससे न ही उनका शरीर मजबूत बनेगा बल्कि उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जायेगी और ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी का खतरा भी न के बराबर रहेगा।

अपोलो मैडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के आर्थोपेडिक एंड ज्वाइन्ट रिप्लेसमेंट के डा. संदीप गुप्ता ने बताया कि हमारे शरीर में हड्डियों का खास महत्व है। ये एक जटिल अंग है जिसका विकास उम्र के साथ- साथ होता है। जब हम जवान होते हैं तो इन्हें महत्व नहीं देते हैं, लेकिन जब हमारी उम्र बढने लगती है तो साधारण से काम भी हमारे लिए मुश्किल होने लगते हैं, क्योंकि तब हमारी हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। ऐसे में हमें शुरू से ही

फिटनेस के प्रति अपना ध्यान देना चाहिये क्योकि आमूमन लड़कियों में 18 और लड़को में 20 वर्ष की आयु में 90 प्रतिशत हड्डियों का सम्पूर्ण विकास हो जाता है। 20 साल तक की उम्र तक यह अपने चरम पर होता है जिसे पीक बोन मास कहते हैं। आज के बच्चो को पोषक खुराक व फिसिकल एक्सीसाइस की कमी से युवावस्था तक पहुंचने पर शरीर में पीक बोन मास पर्याप्त मात्रा में नहीं बन पा रही है। उम्र बढने के साथ बोन मिनरल में कमी और इसी के साथ हड्डियों की तकलीफ लगातार बढ़ रही है। साथ ही बच्चो के बीच रिकेट्स की समस्या भी उत्पन्न हो रही है। खासकरके बच्चो की बढ़ती उम्र में विटामिन डी और कैल्शियम की कमी होने से रिकेट्स जैसी समस्या जिसमे हड्डियाँ बिलकुल कमजोर हो जाती हैं, भी उत्पन्न हो रही हैं। हड्डियों को किशोरावस्था से ही स्वस्थ रखने के लिए जंक फूड के बजाए पोषक तत्व जैसे विटामिन डी, कैल्शियम जैसे मिनरल और प्रोटीन की तय मात्रा की बहुत जरूरत होती है।

साथ ही बच्चों को हमेशा आउटडोर गेम्स की तरफ मोटिवेट करना चाहिए न कि मोबाइल गेम्स तक सीमित रखना चाहिए। आज के समय में फिट रहने के लिए और बच्चों के पूर्ण विकास के लिए आउटडोर गेम्स बेहद जरूरी हो गए हैं। आउटडोर गेम्स में बच्चा पार्क में साइकिल चलाये पकड़म-पकड़ाई, बैडमिंटन, क्रिकेट, फुटबॉल, बॉस्केटबॉल, वॉलीबॉल, हॉकी आदि खेल खेले तो बच्चे हेल्थी , फिट और चुस्त-दुरूस्त रहते हैं। जरूरी नहीं कि बच्चों को आउटडोर गेम्स के लिए कहीं दूर भेजा जाए बल्कि पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ भी खेल सकते हैं और ये गेम्स घर के आसपास भी खेले जा सकते हैं।