महबूबा मुफ्ती ने की आतंकियों से बातचीत की वकालत
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भारतीय सेना पर आतंकियों के परिवारों को परेशान करने का आरोप लगाने के बाद अब आतंकियों से बातचीत की वकालत की है. मंगलवार को महबूबा ने कहा कि कश्मीर घाटी में बढ़ते आतंकी घटनाओं को रोकने के लिए आतंकी संगठनों के सरगना से बातचीत की पहल होनी चाहिए. क्योंकि हथियार उठाने वाले ही हथियार की संस्कृति खत्म कर सकते हैं.
महबूबा मुफ्ती ने कहा, 'मेरा मानना है कि जम्मू कश्मीर में शांति और अमन के लिए सिर्फ अलगाववादी हुर्रियत से बात करना काफी नहीं है. हमें आतंकी संगठन के सरगनाओं से भी बातचीत की पहल करनी चाहिए.'
महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर में युवाओं के आतंकी बनने की घटनाओं को परोक्ष रूप से जायज ठहराया. उन्होंने कहा कि ताकत और फौज से कश्मीर मसले का हल निकालने की नई दिल्ली की नीति से ही कई युवा बंदूक उठा रहे हैं. नई दिल्ली को कश्मीर में टकराव की सियासत बंद कर सुलह व समन्वय की बात करनी चाहिए. इसके लिए एक कदम आगे बढ़ते हुए हुर्रियत समेत सभी संबधित पक्षों से बातचीत करनी होगी.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा, 'स्थानीय आतंकी भी इसी धरती की संतान हैं. हमारी कोशिश उन्हें खत्म करने की नहीं, बल्कि उन्हें बचाने की होनी चाहिए.'
बता दें कि इससे पहले महबूबा मुफ्ती 30 दिसंबर को पुलवामा जिले में एक आतंकी के परिवार से मिलने के लिए पहुंचीं थीं. महबूबा ने यहां हिज्बुल के आतंकी हिलाल अहमद की बहन से मिलने के बाद कहा था कि अगर आतंकियों के परिवारों को परेशान करने की घटनाएं दोबारा हुईं तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
महबूबा ने आरोप लगाया कि 2019 के चुनावों में हर बार की तरह वोट पाने के लिए कश्मीरियों का इस्तेमाल कर राजनीतिक दल अपना हित साध रहे हैं. राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री ने चिंता जताते हुए कहा कि राष्ट्रीय दलों के इस कदम के लिए कितने कश्मीरियों और उनके परिवारों को कीमत चुकानी होगी.
पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) प्रकरण पर भी अपनी राय रखी. इस मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा दायर चाजर्शीट को उन्होंने पूरी तरह कश्मीरियों के साथ जोड़ा. महबूबा ने कहा, 'वोटों के खातिर कश्मीरियों को बली का बकरा बनाया जा रहा है.'