नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की राजनीति लोकसभा चुनाव 2019 से पहले तेजी से करवट ले रही है। यहां बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गठबंधन का ऐलान कर दिया है और उत्तर प्रदेश की दो बड़ी क्षेत्रीय पार्टियां आगामी चुनाव में साथ मिलकर बीजेपी को चुनौती देते हुए नजर आएंगी। मायावती ने गठबंधन का ऐलान करते हुए कहा कि यह मोदी-शाह की नींद उड़ाने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस है हालांकि प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मायावती की बातों से यह भी जाहिर हुआ कि गठबंधन का फैसला लेना उनके लिए कितना मुश्किल निर्णय था।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मायावती ने कहा कि नई राजनीति के लिए वह गेस्ट हाउस कांड को भी भूलकर सपा के साथ हाथ मिलाने के लिए तैयार हुई हैं। मायावती अपने सम्बोधन में दो बार गेस्ट हाउस कांड का ज़िक्र किया ,आखिर ऐसा क्या हुआ था सपा और बसपा के बीच और दोनों में लंबे समय तक रही कड़वाहट में गेस्ट हाउस कांड की क्या भूमिका है।

दरअसल साल 1993 में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। दिसंबर 1993 में गठबंधन की सरकार बनी थी लेकिन इसके बाद जून 1995 में मायावती ने गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया। बसपा के समर्थन वापस लेते ही मुलायम सिंह यादव की पार्टी कम मतों की स्थिति में आ गई और मायावती ने सत्ता में आने के लिए बीजेपी का दामन थाम लिया। इसके बाद उन्मादी लोगों एक गेस्ट हाउस पर हमला कर दिया था जिसमें मायावती ठहरी हुई थीं।

मीडिया रिपोर्ट्स आई थीं कि सपा के समर्थन वाली भीड़ मायावती को समर्थन वापस लेने के लिए सबक सिखाना चाहती थी। इस कांड को लेकर मायावती कहती रही हैं कि उस दिन जान लेने के इरादे से उन पर हमला किया गया था और वह किसी तरह वहां से बच निकली थीं। इस घटना के बाद से सपा और बसपा में कड़वाहट बहुत ज्यादा बढ़ गई थी और शायद तब किसी ने सोचा नहीं होगा कि दोनों पार्टियां भविष्य में दोबारा गठबंधन करेंगी।