बॉलीवुड ने याद किया आजादी के भूले सिपाही को
मौलाना आजाद पर बनी बायोपिक की रिलीज़ 18 जनवरी को
बॉलीवुड में इन दिनों बायोपिक बनाने का चलन जोरों पर है। इसी कड़ी में बॉलीवुड ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के भूले हुए सिपाही मौलाना आजाद को याद किया है। आने वाली 18 जनवरी को मौलाना आजाद पर बनी बायोपिक देशभर के सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने जा रही है। मौलाना आजाद पर बनने वाली यह पहली फिल्म है। प्रदर्शन से पहले ही फिल्म चर्चा में है। माना जा रहा है कि जिस तरह से मौलाना आजाद ने अपने करिश्माई व्यक्तित्व से दो धड़ों यानी नरम दल और गरम दल में बंट चुकी कांगे्रस को एक करके अंगे्रजों की कूटनीति को मात दी थी, उसी प्रकार यह फिल्म वर्तमान परिप्रेक्ष्य में गठबंधन में भविष्य तलाश रही कांगे्रस को अपना वजूद तलाशने और अपनी हस्ती को मजबूत करने को प्रेरित करती दिखाई देगी।
अलबत्ता इन कयासोंको नकारते हुए फिल्म के लेखक राजेन्द्र संजय ने बताया कि फिल्म का वर्तमान राजनीति से कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि मौलाना आजाद एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं जो हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही सम्प्रदाय में समान रूप से लोकप्रिय है। हिन्दू और मुस्लिम एकता के ऐसे प्रतीक की जीवनी की आज के तनावपूर्ण माहौल में नितांत आवश्यकता है। यही नहीं बतौर स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री उन्होंने भारत को विज्ञान व तकनीक के मामले में पश्चिमी देशों के समकक्ष लाने में अभूतपूर्व योगदान दिया। मौलाना आजाद का पूरा नाम कलाम मोहियुद्दीन अहमद था। महज 12 वर्ष की उम्र में उन्होंने हस्तलिखित पत्रिका नैरंग ए आलम निकाली जिसे अदबी दुनिया ने खूब सराहा। हिंदुस्तान से अंगे्रजों को भगाने के लिए वे मशहूर क्रांतिकारी श्री अरबिंदो घोष के संगठन में सक्रिय सदस्य बनकर, उनके प्रिय पात्र बन गए। उन्होंने एक के बाद एक, दो पत्रिकाओं अल हिलाल और अल बहाल का प्रकााश्र किया जिनकी लोकप्रियता से डरकर अंगे्रजी हुकूमत ने दोनों पत्रिकाओं का प्रकाशन बंद कराकर उन्हें कलकत्ता से तड़ीपार कर रांची में नजरबंद कर दिया । चार साल बाद सन 1920 मे नजरबंदी से रिहा होकर वह दिल्ली में पहली बार महात्मा गांधी से मिले और उनके सबसे करीबी सहयोगी बन गए।
उनके प्रतिभा और ओज से प्रभावित जवाहरलाल नेहरू उन्हें अपना बड़ा भाई मानते थे। पैतीस साल की उम्र में आजाद कांगे्रस के सबसे कम उम्र वाले अध्यक्ष चुने गए।
निर्माण, कथा, पटकथा, संवाद, गीत – डॉ. राजेन्द्र संजय
निर्देशन – डॉ. राजेन्द्र संजय एवं संजय सिंह नेगी
छायांकन – अजय टामबट,
संगीत – दर्शन कहार
कलाकार – लिनेश फनसे(मौलाना आजाद), सिराली (जुलेखा बैगम), सुधीर जोगलेकर, आरती गुप्ते, डॉ. राजेन्द्र संजय, अरविंद वेकरिया, शरद शाह, केटी मेघानी, चेतन ठक्कर, सुनील बलवंत, माही सिंह, चांद अंसारी और वीरेन्द्र मिश्र