जीएसटी की सीमा से बाहर हुए छोटे कारोबारी
नई दिल्ली: जीएसटी काउंसिल की 32वीं बैठक बृहस्पतिवार को पूरी हुई। जीएसटी परिषद ने कंपोजिशन स्कीम को लेकर बड़ा फैसला लिया है। जीएसटी काउंसिल ने आम जनता और कारोबारियों के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मीटिंग के फैसलों के बारे में बताया।
GST काउंसिल ने कंपोजिशन स्कीम और जीएसटी की सीमा में कई बदलाव किए हैं। जानिए कौन-कौन से अहम फैसले जीएसटी परिषद की 32वीं बैठक में लिए गए।
जीएसटी काउंसिल ने आज जीएसटी (GST) के दायरे को बढ़ा दिया है। अभी तक 20 लाख टर्नओवर वाले जीएसटी के दायरे में आते थे अब उसकी सीमा बढ़ा कर 40 लाख कर दी गई है। छोटे राज्यों में लिमिट 10 लाख रुपये थे वो लिमिट बढ़ा कर 20 लाख कर दी गई है।
इसकी वजह से छोटे कारोबारी जीएसटी के दायरे से बाहर हो जाएंगे। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी से छूट के लिये सालाना कारोबार सीमा को बढ़ाकर 40 लाख रुपये किया गया, पूर्वोत्तर राज्यों के लिये यह सीमा 20 लाख रुपये की गई है।
जीएसटी परिषद ने केरल को दो साल के लिए राज्य के भीतर बिक्री पर एक प्रतिशत का उपकर लगाने की अनुमति दी। जीएसटी परिषद में रीयल एस्टेट तथा लॉटरी पर जीएसटी को लेकर मतभेद सामने आने के बाद इसपर विचार करने के लिये मंत्रियों का समूह बनाया गया है।
GST काउंसिल की बैठक में कंपोजिशन स्कीम की सीमा को 1.5 करोड़ रुपए कर दिया गया है। अभी तक यह सीमा सिर्फ 1 करोड़ रुपये थी। कंपोजिशन की नई सीमा 1 अप्रैल 2019 से लागू होगी। इसके अलावा जीएसटी काउंसिल ने एसएमई को वार्षिक रिटर्न फाइल करने की छूट दे दी है।
इसका मतलब यह है कि 1 अप्रैल के बाद इन कारोबारियों को साल में सिर्फ 1 ही रिटर्न भरना पड़ेगा। अभी यह हर तिमाही है। 32वीं बैठक में 50 लाख तक का कारोबार करने वाली सर्विस सेक्टर यूनिट को भी कंपोजिशन स्कीम के दायरे में रखा गया है। इन पर 6 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा।