मिर्ज़ा मोहम्मद आलिम साहब की खि़दमत नाक़ाबिले फरामोश : मौलाना मिर्ज़ा मोहम्मद अशफ़ाक़
लखनऊ: दरगाह हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम, रुस्तम नगर, लखनऊ में सरकार फ़ख़्रूल ओलमा मौलाना मिर्ज़ा मोहम्मद आलिम साहब की मजलिस मुन्अक़िद हुई। अव्वलन तिलावते कलामे पाक से मौलवी क़ारी मोहम्मद मेहदी साहब मुतअल्लिम जामेअतुत तबलीग़ ने मजलिस का आग़ाज़ किया। बादहु शोअराये कराम ने नज़रानए अक़ीदत पेश किया। मजलिस को ख़तीबुल इरफ़ान आलीजनाब मौलाना मिर्ज़ा मोहम्मद अशफ़ाक़ साहब क़िब्ला ने अपने मख़सूस अन्दाज़ में खि़ताब किया। मौलाना मौसूफ़ ने ज़िक्रे मुतक़ाबिल मोहम्मदस0 व आले मोहम्मदस0 बयान करते हुए इल्म की अहमियत को बयान करते हुए सरकार फ़ख़्रूल ओलमा मौलाना मिर्ज़ा मोहम्मद आलिम साहब मरहूम के खि़दमात पर रौशनी डालते हुए कहा कि मरहूम एक शुजाअ, दिलेर, बा-अख़लाक़ और आलिम बा अमल के साथ साथ एक बेहतरीन ज़ाकिरे अहलेबैतअ0 थे, और आप का यह इख़लाक़ ही था कि आज पैंतिसवीं (35वीं) बरसी पर इतना बड़ा मजमा जमा हुआ है। आपको शहंशाहे मसाहिब कहा जाता था आपके इल्मी खि़दमात में एक इदारा आलिया तब्लीग़ व इशाअत है जो आज भी उलूमे मोहम्मदस0 व आले मोहम्मदस0 को नश्र कर रहा है और दूसरा हौज़-ए-इल्मिया जामेअतुत तब्लीग़ है, जो आपने अपने मुख़लिसाना हाथों से तामीर किया, जिससे हज़ारों तुल्लाबे उलूमे दीनिया तालीम हासिल करके आज दुनिया के गोशे गोशे में तब्लीग़े दीन मुबीने इस्लाम के फ़राएज़ अंजाम दे रहे हैं और मशग़्ाूले इल्मे दीन हैं मरहूम के चार फ़रज़न्द जिनमें दो फ़रज़न्द मौलाना मिर्ज़ा जाफर अब्बास साहब व मौलाना मिर्ज़ा रज़ा अब्बास साहब अपने वालिद के नक़्शे क़दम पर चलते हुए मदरसे में और मिम्बर से खि़दमते अहलेबैतअ0 अंजाम दे रहे हैं आखि़र में मौलाना मौसूफ़ ने मसाएबे सरकारे सैय्यदुश् शोहदाअ0 पर मजलिस को तमाम किया मजलिस में कसीर तादाद में ओलमा, ख़ुतबा, तुल्लाबे उलूमे दीनिया, शोअरा, मोमेनीन और शहर के मोअजि़्ज़ज़ हज़राते कराम ने शिरकत की मौलाना मरहूम की यह को सूर-ए-फ़ातेहा से ईसाले सवाब किया गया और ख़त्मे मजलिस पर मदरसे के तुल्लाब ने नौहा ख़्वानी की