कौशल विकास योजना के प्रशिक्षु रोज़गार के लिए घिस रहे हैं चप्पल
लक्ष्य का आधा भी हासिल नहीं कर सकी पीएम मोदी की यह महत्वाकांक्षी योजना
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार पर रोजगार के पर्याप्त अवसर मुहैया न कराने का आरोप लगाया था। उन्होंने सत्ता संभालने से पहले अगले पांच वर्षों में करोड़ों लोगों को रोजगार देने की बात कही थी। उनके कार्यकाल के 4.5 साल से ज्यादा का वक्त बीतने के बावजूद भी रोजगार के नए मौकों के सृजन ने अपेक्षित रफ्तार नहीं पकड़ी है। हालांकि, मोदी सरकार ने युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन्हीं में से एक स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम है। केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत वर्ष 2016 से 2020 के बीच एक करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन तीन साल का वक्त बीतने के बावजूद अभी तक निर्धारित लक्ष्य का आधा भी हासिल नहीं किया जा सका है। कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षण हासिल करने वाले युवाओं को रोजगार हासिल करने के लिए चप्पल घिसने पड़ रहे हैं, फिर भी आनुपातिक रूप से बहुत कम लोगों को नौकरियां हासिल हुई हैं। आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में प्रशिक्षण हासिल करने वालों में से तकरीबन एक तिहाई को ही रोजगार मिला है। बता दें कि 12,000 करोड़ रुपए खर्च कर देश के विभिन्न हिस्सों में स्किल डेवलपमेंट के लिए ट्रेनिंग सेंटर खोले गए हैं। इसके अलावा हर शख्स को ट्रेनिंग देने के लिए सरकार की ओर से 10 हजार रुपए का बजट रखा गया है।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 5 वर्षों में 1 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। ‘एबीपी’ न्यूज चैनल के अनुसार, 3 साल में महज 33 लाख को ही प्रशिक्षण दिया गया और अभी तक उनमें से सिर्फ 20 लाख को प्रमाणपत्र सौंपा गया है। आंकड़ों की मानें तो जिनको प्रमाणपत्र दिया गया है, उनमें से सिर्फ 10 लाख युवाओं को ही नौकरी मिल सकी है। दिलचस्प है कि सरकार को सर्टिफिकेट प्रदान करने के 90 दिनों के भीतर तक के आंकड़ों का ही पता है। ऐसे में सरकार के पास इस बात के पुख्ता तथ्य नहीं होते हैं कि सर्टिफिकेट हासिल करने 90 दिनों के बाद संबंधित युवा रोजगार में हैं या नहीं।
कौशल विकास योजना के तहत उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 4.14 लाख युवाओं को प्रमाणपत्र दिया गया। इनमें से महज 28 फीसद को ही नौकरी मिल सकी। हालांकि, इस कार्यक्रम के तहत 5.70 लाख युवाओं ने प्रशिक्षण हासिल किया था। बिहार में 1.71 लाख युवाओं ने स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत प्रशिक्षण लिया था, जिनमें 1.29 लाख को प्रमाणपत्र दिया गया। इनमें से महज 23 प्रतिशत को ही रोजगार मिल सका। वहीं, मध्य प्रदेश में पीएम मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत 3.15 लाख युवाओं ने प्रशिक्षण लिया था। इनमें से 2.45 लाख को सर्टिफिकेट दिया गया। प्रशिक्षित युवाओं में से महज 30 फीसद को ही रोजगार का मौका मिला। दिल्ली में 1.55 लाख ने प्रशिक्षण लिया, जबकि 1.16 लाख को प्रमाणपत्र दिया गया। दिल्ली में भी इसके जरिये रोजगार हासिल करने वालों की तादाद महज 30 फीसद है।
स्किल इंडिया प्रोग्राम के तहत प्रशिक्षण हासिल करने वालों में से कई युवाओं की शिकायत है कि वोकेशनल ट्रेनिंग लेने हासिल करने के एक साल के बाद भी उन्हें रोजगार का मौका नहीं मिल सका है। वहीं, ट्रेनिंग लेने वाले कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें अभी तक प्रमाणपत्र भी नहीं दिया गया है। हालांकि, इस योजना को आर्थिक रूप से सफल बनाने के लिए नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन का गठन किया गया है। इस प्रोग्राम के तहत उद्योग जगत की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए प्रशिक्षण दिया जाता है। लेकिन, मीडिया रिपोर्ट की मानें तो क्रियान्वयन के स्तर पर लचर व्यवस्था होने के कारण इस योजना का अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है।