रफाएल डील: अगर सरकार साफ है तो जेपीसी से डर क्यों ?
नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल शिव सेना ने राफेल मुद्दे पर सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा किया है। लोकसभा में बुधवार (02 जनवरी) को हुई चर्चा में भाग लेते हुए शिव सेना सांसद अरविंद सावंत कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पक्ष में नजर आए। उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा कि जब देश में हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) जैसी सरकारी कंपनी मौजूद थी, बावजूद इसके रिलायंस कंपनी को राफेल डील का ऑफसेट पार्टनर क्यों बनाया गया? सावंत ने कहा कि एचएएल के पूर्व सीएमडी कह चुके हैं कि वो राफेल बना सकते हैं, बावजूद सरकार ने एचएएल को नजरअंदाज किया। शिव सेना सांसद ने कहा कि सरकार ने सरकारी पुरानी कंपनी को नजरअंदाज कर ऐसी कंपनी पर भरोसा जताया जो ढंग से मेट्रो का भी संचालन नहीं कर पा रहे हैं। बता दें कि नई दिल्ली-एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो लाइन का संचालन भी अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर कर रही है।
सावंत ने भी सदन में राहुल गांधी की तर्ज पर अनिल अंबानी के ‘डबल ए’ कहा। उन्होंने सवाल पूछा कि अगर हमारी सरकार साफ है तो क्यों जेपीसी से डर रहे हैं? बता दें कि कांग्रेस इस मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की मांग कर रही है। उधर, चर्चा में राहुल के आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ किया कि मामले की जेपीसी जांच नहीं होगी। उऩ्होंने उल्टे बोफोर्स घोटाला, अग्सता वेस्टलैंड घोटाला और हेराल्ड मामले को उछालकर राहुल गांधी को घेरने की कोशिश की।
उधर, टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने जेटली द्वारा सदन में चर्चा में भाग लेने पर आपत्ति उठाई और पूछा कि जब सदन में रक्षा मंत्री मौजूद हैं तब जेटली क्यों जवाब दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि संभवत: ऐसा पहली बार हो रहा है जब सदन में मंत्री मौजूद हैं बावजूद दूसरे सदन के नेता और दूसरे विभाग के मंत्री लोकसभा में जवाब दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री जेटली को आगे कर छुप रही हैं। सौगत रॉय ने राफेल डील में बीजेपी को क्रॉनी कैपिटलिज्म का आरोपी बताया और कहा कि मोदी सरकार ने 70 साल पुरानी देश की नामी कंपनी को मटियामेट कर एक नई नवेली प्राइवेट कंपनी को ठेका दिलवाया जिस पर 8000 करोड़ रुपये का कर्ज पहले से ही है। सौगत रॉय ने कहा कि रिलायंस पहले से ही 40,000 करोड़ का घाटा झेल रही है।