लोकसभा चुनाव: बुज़ुर्गों पर भरोसा दिखाएगी भाजपा !
लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारी शुरू हो चुकी है। सभी दलों के अधिकांश सांसदों की चिंता अपने टिकट को लेकर है। ऐसे में हर तरफ टिकट की दावेदारी को लेकर कयास भी लगाए जाने लगे हैं। चर्चा है कि इस बार कई पुराने चेहरे चुनावी मैदान से गायब हो सकते हैं। वरिष्ठ नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्नवाचक चिन्ह का मसला सबसे ज्यादा बीजेपी के खेमे में हैं। हालांकि, इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी भले ही 75 साल से बड़े उम्र के सांसदों को मंत्री न बनाएं, लेकिन चुनाव लड़ाने से उसे परहेज नहीं है।
बीजेपी के एक सीनियर नेता का हवाला देते हुए अखबर ने लिखा कि बीजेपी के भीतर 75 साल की उम्र सीमा सिर्फ मंत्री बनने के लिए है, ना कि चुनाव लड़ने के लिए। ऐसे में वरिष्ठ नेता एलके आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी समेत तमाम बुजुर्ग नेता इस चुनाव में भी दमखम दिखा सकते हैं। वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी के ही वरिष्ठ नेताओं के बयानों पर गौर फरमाएं तो कई नेताओं ने चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान पहले ही कर दिया है। हालांकि, उसमें पार्टी के आदेश को सर्वोपरि भी रखा है। मसलन, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और कैबिनेट मंत्री उमा भारती चुनाव में हिस्सा नहीं लेने की इच्छा जता चुकी हैं। बाकी, फैसला लेने का काम पार्टी के ऊपर छोड़ रखा है।
आगामी चुनाव को देखते हुए टिकट का शोर लगातार बढ़ता जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट में इस बात पर ज्यादा बल दिया जा रहा है कि सांसदों के परफॉर्मेंस को देखते हुए पार्टियां चेहरा बदल सकती हैं। इस बाबत बीजेपी और संघ पहले से ही मुहिम चलाए हुए हैं। संघ ने पहले ही उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में अपने प्रभारी नियुक्त किए हैं, जो सांसदों की लोकप्रियता और रिपोर्ट-कार्ड पेश करेंगे। इन्हीं की सिफारिश के आधार पर बीजेपी उम्मीदवारों का चयन करने वाली है। बीजेपी कई जगहों पर एंटी-एन्कंबेंसी की लहर को शांत करने के लिए नए चेहरों पर दांव खेलने की तैयारी कर रही है।
बीजेपी अपने बागी नेताओं के बयानों पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही है। पटना साहिब से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा अक्सर अपने बयानों से पार्टी की फजीहत कराते रहे हैं। हालांकि, पिछले दिनों लोकसभा में जब व्हीप जारी हुआ तो वह मौजूद रहे। अक्सर सिन्हा संसद से गैर-हाजिर रहने पर पार्टी को इसकी वजह भी पहले से बता देते हैं। लिहाजा, उनकी पार्टी से रुख़्सत को लेकर भी कोई स्थिति स्पष्ट नहीं है। बीजेपी भी सिन्हा के मामले में कोई भी टिप्पणी नहीं कर रही है। ऐसे में टिकट के दावेदारों को नए बनते-बिगड़ते समीकरण पर भी बारीक नज़र बनी हुई है।