साहित्य समाज का आईना होता है: राम नाईक
राज्यपाल ने उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के 42वें स्थापना दिवस के अवसर पर 68 साहित्यकारों को किया सम्मानित
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि कोई भी समाज साहित्य के बिना अधूरा होता है। उन्होंने कहा कि सही मायने में देखा जाये तो साहित्य समाज का आईना होता है। समाज में जो भी घटित हो रहा होता है उसे लेखक, साहित्यकार कई विधाओं के माध्यम से लोगों के सामने प्रस्तुत करता है। श्री राज्यपाल ने कहा कि जैसे आत्मा एवं शरीर का संबंध होता है उसी प्रकार का संबंध साहित्य एवं समाज का होता है।
राज्यपाल राम नाईक ने आज उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के 42वें स्थापना दिवस के अवसर पर पुरस्कार वितरण समारोह में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिन्दी भारत के 10 से अधिक प्रदेशों में बोली एवं पढ़ी जाती है। उन्होंने कहा कि हिन्दी पूरे भारत में एक दृष्टि से देखी एवं पहचानी जाती है। इसलिए लेखकों एवं प्रकाशकों को इसका लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि हिन्दी सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों में भी बोली जाती है। राज्यपाल ने लेेखकों एवं साहित्यकारों से अधिक से अधिक हिन्दी भाषा में लिखने को कहा जिससे हिन्दी का प्रचार-प्रसार हो। श्री नाईक ने कहा कि ऐसे लेख, कहानी एवं साहित्य की रचना की जाये जिससे स्वयं को आनन्द मिलने के साथ ही दूसरों को भी पढ़कर आनन्द मिले। उन्होंने कहा कि जब अपनी किसी रचना का सम्मान मिलता है तो लेखकों एवं साहित्यकारों को स्वयं पर गर्व का अनुभव होता है।
श्री नाईक ने कहा कि मैंने भी 80 साल पुराने मराठी दैनिक सकाल के सम्पादक के सलाह पर ‘चरैवेति!चरैवेति’ नामक संस्मरण लिखा है। उन्होंने लेखकों एवं साहित्यकारों को ‘चरैवेति!चरैवेति’ का संदेश देते हुए कहा कि जिस प्रकार से चलते रहने से आदमी का भाग्य चलता रहता है उसी प्रकार से लेखकों को भी सदैव लिखते रहो-लिखते रहो का अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे राज्यपाल के पद पर रहने से जो प्रतिष्ठा मिली उससे भी अधिक प्रतिष्ठा अपनी पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति’ से मिली है। राज्यपाल ने कहा कि इस पुस्तक का अब तक 10 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। ये भाषाएं मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती, उर्दू, संस्कृत, सिंधि, अरबी, फारसी तथा जर्मन हैं।
राज्यपाल श्री राम नाईक ने पुरस्कार वितरण समारोह का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलित कर किया। उन्होंने इस अवसर पर 68 से अधिक लेखकों/साहित्कारों को विभिन्न विधाओं पर लिखने पर सम्मानित किया। सम्मानित होने वालों में आचार्य देेवेन्द्र ‘देव’, देवेन्द्र ‘देव’ मिर्जापुरी, कन्हैयालाल चंचरीक, बृजनाथ श्रीवास्तव, अभिनव अरूण, डाॅ0 रवि शंकर पाण्डेय, डाॅ0 सरोजनी अग्रवाल, सूर्यनाथ सिंह, राम नगीना मौर्य, डाॅ0 अलका प्रकाश, अनुप शुक्ल, एम0आई0 राजस्वी, आलोक सक्सेना, डाॅ0 उमा शंकर शुक्ल ‘शितिकंठ’, डाॅ0 ओम प्रकाश शुक्ल ‘अमिय’, शिवमूर्ति सिंह, डाॅ0 दयाराम वर्मा ‘बैचेन’ तथा श्रीमती शीला पाण्डेय प्रमुख रूप से सम्मिलित थे।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त ने राज्यपाल राम नाईक को शाॅल एवं स्मृति देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त, प्रमुख सचिव भाषा जितेन्द्र कुमार, हिन्दी संस्थान के निदेशक शिशिर तथा वरिष्ठ वित्त एवं लेखा अधिकारी निवास त्रिपाठी भी उपस्थित थे।