लोकसभा संग्राम 41–क्या यूपी ही बिगाड़ेगा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का केन्द्र में सत्ता का सियासी खेल
लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी
राज्य मुख्यालय लखनऊ।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 2014 में जिस प्रदेश ने बेड़ा पार लगाया था क्या वही प्रदेश उनकी नया डुबोने की तैयारी कर रहा है ? क्या मिशन 2019 में यूपी ही सत्ता से बेदख़ली का कारण बनने जा रहा है ?और इसके कारण क्या है जिसकी वजह से मोदी की भाजपा केन्द्र की सत्ता से बेदख़ल हो सकती है ? पहला कारण तो वह खुद भी है जैसे 2014 में सत्ता प्राप्त करने से पूर्व बड़ी-बडी बातें करना और जब सत्ता प्राप्त हो गई उनको चुनावी जुमले कह देना हर वक़्त हिन्दू मुस्लिम की बातें करने वालों को खुली छूट देना आदि-आदि अब बात करते है दूसरे कारणों की जैसे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार जब से बनी है बिना मतलब की बातें करना हनुमान दलित थे तुम्हें अली मुबारक हमें बजरंगबली मुबारक क्या मतलब है इन सब आधारहिन बातों का और अगर है भी तो सरकार को यह सब करने के लिए नही बनाया था यह सब करने के लिए मौलाना और पण्डित है ऐसी बातों से जनता पक गई है वह विकास की बात करना व सुनना चाहती है लेकिन मुख्यमंत्री को तो इसी तरह की बयान बाज़ी पसंद है जिसका सबसे बडा फ़र्क़ राज्य की क़ानून व्यवस्था पर पड़ा पुलिस का इक़बाल ख़तरे में है हर तरफ़ हाहाकार मचा है योगी आदित्यनाथ सरकार की क़ानून व्यवस्था की पोल खोलती कुछ घटनाएँ जो साफ इसारा कर रही है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में क्या होने जा रहा है जहाँ 2017 उनके सियासी कैरियर के लिए सबसे बेहतर रहा वही 2018 में कुछ घटनाएँ ऐसी घटी कि उन्होंने योगी सरकार की कार्य क्षमता पर ही सवालिया निशान लगा दिए ? पूरे साल योगी सरकार फ़र्ज़ी पुलिस एनकाउंटर कर ढिंढोरा पीटती रही कि बदमाश की जगह जेल है या खतम किसी हद तक सही भी है बदमाश तो बदमाश होता है वह किसी का सगा नही होता बदमाश को तो जेल या फ़र्ज़ी एनकाउंटर ही सही उसका इलाज होना ही चाहिए लेकिन उनका क्या होना चाहिए जो बच्ची स्कूल से पढ़ कर घर आ रही थी उसे ज़िन्दा जला दिया गया उसके आरोपी किस श्रेणी में है उनका आज तक कुछ नही हुआ जी हाँ 18 दिसंबर को आगरा में दलित छात्रा को ज़िन्दा जला दिया गया स्कूल से रोज़मर्रा की तरह साइकिल से घर लोट रही थी तभी पहले से घात लगाए बैठे कुछ सिर फिरे युवकों ने उसे आग के हवाले कर दिया 70 फ़ीसदी जल जाने की वजह से उसे बचाया नही जा सका इससे पहले छात्रा के पिता पर भी जान लेवा हमला किया गया था। अब हम बात करते है उस बुलंदशहर की जहाँ बुलंदशहर ही नही पूरे प्रदेश को आग में झोंकने का काम किया गया था वो तो भला हो उस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार का जिसने अपनी जान की क़ुर्बानी देकर प्रदेश को दंगे की नज़र होने से बचा लिया फ़र्ज़ी गोकसी का मुद्दा बनाकर कुछ हिन्दुवादी संगठनों ने उत्पात मचाया उसी टाइम वहाँ से 60 किमी की दूरी पर मुसलमानों का बहुत बड़ा तबलिकी इस्तमा हो रहा था जिसमें लगभग बीस लाख मुसलमानों ने शिरकत की ऐसा बताया गया था वहाँ से मुसलमान वापिस हो रहे थे तभी उत्पाती उत्पात मचा रहे थे इसी दौरान वहाँ मामला इतना बढ़ा की उत्पात मचा रहे लोग बेक़ाबू हो गए और गोली चलाने लगे इसी के चलते एक उत्पात मचा रहे युवक और पुलिस इंस्पेक्टर को गोली लग गई जिसके बाद दोनों की मौत हो गई इसी दौरान यह भी हुआ कि घायल इंस्पेक्टर को अस्पताल भी जाने नही दिया गया जिसकी वजह से वही दम तौड गए उसका मुख्य आरोपी आज भी खुला घूम रहा है वजह है वह बजरंग दल का ज़िला संयोजक है इस लिए उसे बचाने का भरपूर्व प्रयास किया जा रहा है ख़बर है कि मुख्य आरोपी बजरंग दल के ज़िला संयोजक योगेश राज की जगह किसी और को मुख्य आरोपी बनाने की तैयारी हो रही है।? यीगी की भाजपा सरकार ने छह महा पूरे होने पर कहा था कि हमारी सरकार में अब तक साम्प्रदायिक दंगा नही हुआ 26 जनवरी 2018 को कांसगंज में तिरंगा यात्रा के नाम पर सुनियोजित तरीक़े से दंगे ने योगी सरकार के इस दावे की भी पोल खोलकर रख दी वहाँ धर्म के नाम पर किस तरीक़े से नंगा नाच किया गया यह भी सबने देखा हिन्दू ने भी और मुसलमान ने भी ऐसी हिंसा भड़की कि उसे क़ाबू पाने में योगी सरकार और पुलिस की चूलें हिल गई हालाँकि पुलिस को खुली छूट मिल जाने पर घटना पर दिनों में नही घटों में क़ाबू पाया जा सकता है इसका भी यक़ीन है पर संकीर्णता से ग्रस्त हो कर कार्य किया जाए तो महीनों क्या सालों में भी क़ाबू नही पाया जा सकता।लखनऊ में एप्पल कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की पुलिस ने सरेआम हत्या कर दी जिसको लेकर योगी सरकार की ख़ूब किरकिरी हुई हापुड़ में मॉब लिंचिंग की घटना और उन्नाव के विधायक कुलदीप सेंगर पर लगे रेप के आरोप में विधायक की गिरफ़्तारी पर हिलाहवाली योगी सरकार पर लगे वो बदनुमा दाग है जिसको किसी भी सियासी या इंसानियत के सर्फ़ से धोये नही जा सकते है और क़ानून-व्यवस्था की समीक्षा के लिए कम से कम इंसान के लिए काफ़ी है।यही वजह भी रही कि इतने बड़े बहुमत से आने वाली मोदी की भाजपा चन्द दिनों के बाद हुए तीन लोकसभा व एक विधानसभा का चुनाव हार गई जिसमें मुख्यमंत्री के द्वारा छोड़ी गई सीट गोरखपुर भी शामिल है हालाँकि फूलपुर भी उप मुख्यमंत्री के द्वारा छोड़ी गई सीट थी वहाँ भी हार को नही रोक पाई कैराना लोकसभा सीट पूर्व मंत्री हुकुम सिंह के निधन व बिजनौर जनपद की एक विधानसभा सीट जो भाजपा के ही विधायक के निधन की वजह से रिक्त हुई थी वह भी बचाने में योगी सरकार कामयाब नही हो सकी और मोदी की भाजपा की हार का सिलसिला रूकने का नाम नही ले रहा है।एक सर्वे में बताया गया है कि योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता में गिरावट आ रही है जबकि मोदी की भाजपा के स्टार प्रचारकों में से एक है त्रिपुरा व कर्नाटक में तो कहा गया था कि नाथ वोट भारी तादाद में उनकी वजह से मिले परन्तु अब उनका ग्राफ़ गिरता जा रहा है।मोदी की भाजपा अगर मिशन 2019 में 2014 जैसे परिणाम की उम्मीद कर रही है तो यह उसकी बहुत बड़ी भूल होगी क्योंकि मोदी और योगी दोनों सरकार की ग़लत नीतियों के चलते डबल विरोध की संभावनाओं से इंकार नही किया जा सकता।इन सबके चलते क्या कहा जा सकता है कि यूपी ही बनने जा रहा है मोदी की राह में सबसे बड़ा बाधक ? अगर सेकुलर दोमुँहे साँप अपने किरदार से न गिरे तो क्योंकि इनका भी बड़ा किरदार रहेगा इससे इंकार नही किया जा सकता।