सीएम कमलनाथ के मंत्रिमंडल में दिग्विजय सिंह के बेटे समेत ये 28 विधायक हुए शामिल
भोपाल: लंबी कशमकश और मैराथन बैठकों के बाद कमलनाथ मंत्रिमंडल ने आकार ले लिया. कमलनाथ मंत्रिमंडल 28 सदस्यों का है. इस कैबिनेट में कमलनाथ ने जाति, क्षेत्र और क्षत्रपों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है. हालांकि सबसे ज़्यादा जगह कमलनाथ समर्थक विधायकों को मिली. 2 महिला मंत्री बनायी गयी हैं.
डॉ विजय लक्ष्मी साधौ, गोविंद सिंह, हुकुम सिंह कराड़ा. सज्जन सिंह वर्मा, आरिफ अकील, बाला बच्चन, बृजेन्द्र सिंह राठौर, प्रदीप जायसवाल, लाखन सिंह यादव, तुलसीराम सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत,ओंमकार सिंह मरकाम, प्रियव्रत सिंह, सुखदेव पांसे, उमंग सिंघार, हर्ष यादव, जयवर्धन सिंह, जीतू पटवारी, लखन घनघोरिया,महेन्द्र सिसोदिया.पी सी शर्मा, प्रद्युम्न सिंह तोमर, सचिन यादव, तरुण भनौट, सुरेन्द्र सिंह बघेल, इमरती देवी, कमलेश्वर पटेल और डॉ प्रभुराम चौधरी मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं.
कमलनाथ मंत्रिमंडल में कमलनाथ गुट के 10, दिग्विजय सिंह के 9, ज्योतिरादित्य सिंधिया के 7 और अरुण यादव गुट के 1 विधायक को जगह दी गयी है. कमलनाथ मंत्रिमंडल में जातीय समीकरण साधने की कोशिश की गयी है. इसमें 8 ठाकुर, 5 पिछड़ा वर्ग, 2 ब्राह्मण, 3 यादव, 4 आदिवासी, 5 एस सी और एक मुस्लिम विधायक को मंत्री बनाया गया है.
कमलनाथ कैबिनेट में युवा चेहरों को जगह दी गयी है. कैबिनेट में सबसे युवा मंत्री जयवर्धन सिंह हैं जो अभी सिर्फ 32 साल के हैं. कसरावद विधायक सचिन यादव 36 साल के, प्रियव्रत सिंह 40, उमंग सिंगार 44, इमरती देवी 43 और जीतू पटवारी 45 साल के हैं.
28 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव के बाद 11 दिसंबर को प्रदेश में मतगणना हुई थी. कांग्रेस 114 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी तो बनी लेकिन बहुमत से 2 सीट दूर रह गयी थी. वो पार्टी के बाग़ी और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सत्ता में आयी. 17 दिसंबर को कमलनाथ ने सीएम पद की शपथ ली थी और तब से मंत्रिमंडल गठन का इंतज़ार था. कैबिनेट गठन में देरी की वजह यही रही कि क्षेत्र, जाति और क्षत्रपों के बीच संतुलन कायम करना प्राथमिकता था.