मोदी सरकार ने दस केंद्रीय एजेंसियों को दिया जासूसी का लाइसेंस
अब बिना बताये आपके कम्प्यूटर-लैपटॉप में कभी भी हो सकती है ताक झाँक
नई दिल्ली: इंटेलिजेंस ब्यूरो से लेकर NIA तक दस केंद्रीय एजेंसियां अब किसी भी कंप्यूटर में मौजूद, रिसीव और स्टोर्ड डेटा समेत किसी भी जानकारी की निगरानी, इंटरसेप्ट और डिक्रिप्ट कर सकती हैं.
गृह मंत्रालय की तरफ से जारी की गई एक आदेश के अनुसार, 10 एजेंसियों के पास अधिकार है कि वे किसी भी कंप्यूटर के डेटा को चेक कर सकती हैं. इन एजेंसियों में इंटेलिजेंस ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, सेंट्रल टैक्स बोर्ड, राजस्व खुफिया निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेंसी, कैबिनेट सचिवालय (आर एंड एडब्ल्यू), डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस (जम्मू-कश्मीर, नॉर्थ-ईस्ट और आसाम के क्षेत्रों के लिए) और पुलिस आयुक्त, दिल्ली का नाम शामिल है.
इस आदेश के अनुसार सभी सब्सक्राइबर या सर्विस प्रोवाइडर और कंप्यूटर के मालिक को जांच एजेंसियों को तकनीकी सहयोग देना होगा. अगर वे ऐसा नहीं करते, तो उन्हें 7 साल की सज़ा देने के साथ जुर्माना लगाया लगाया जा सकता है.
गृह मंत्रालय ने आईटी एक्ट, 2000 के 69 (1) के तहत यह आदेश दिया है जिसमें कहा गया है कि भारत की एकता और अखंडता के अलावा देश की रक्षा और शासन व्यवस्था बनाए रखने के लिहाज से जरूरी लगे तो केंद्र सरकार किसी एजेंसी को जांच के लिए आपके कंप्यूटर को एक्सेस करने की इजाजत दे सकती है.
वहीं इस ऑर्डर को न्यूज़ 18 को समझाते हुए सरकार से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि टेलिग्राफ एक्ट की तरह ही आईटी एक्ट में भी डिजिटल डेटा को इंटरसेप्ट का कोई स्कोप नहीं है.