गंगा को दिल में महसूस करना ‘गंगानामा’ है: मुज़फ्फर अली
वाजिदअली शाह फेस्टिवल "गंगानामा" का 22 दिसंबर को दिलकुशा पैलेश मे
लखनऊ: उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और रूमी फाउंडेशन, लखनऊ चैप्टर द्वारा प्रस्तुत 6वां वार्षिक वाजिद अली शाह फेस्टिवल, "गंगानामा" : मुजफ्फर अली द्वारा कल्पित एवं निर्देशित एक मल्टीमीडिया नृत्य नाटक 22 दिसंबर को दिलकुशा पैलेश मे धूमधाम से मनाया जाएगा इसकी घोषणा आज आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान मुजफ्फर अली द्वारा की गयी ।
उन्होने बताया कि इस छठें संस्करण को सभी लोगों द्वारा अपनाए गए हमारे भारतीय दर्शनशास्त्र के सबसे ज्यादा पवित्र गंगानामा को उजागर करते हुए एक शानदार मल्टीमीडिया नृत्य नाटक के रूप में पवित्र गंगा नदी की कहानी, मिथक और इतिहास को प्रस्तुत करने के लिए डिजाइन किया गया है। गंगा को दिल में महसूस करना 'गंगानामा' है|
पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा, हम लोगो की कोशिश है कि अवध की सरज़मीं को यहाँ के दरिया से जोड़ा जाय क्योंकि सारा कल्चर दरिया के किनारे ही बसता है| 2013 में वाजिदअली शाह फेस्टिवल की शुरुआत गोमती से की थी, पिछले बरस हमने यमुना दरिया प्रेम का पेश किया और इस बार 'गंगानामा '|
उन्होंने कहा पिछले साल से हमने अपनी वायु और जल को स्वच्छ रखने और पेड़ों की सुरक्षा करने के लिए पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के शक्तिशाली संदेश को समन्वित करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने बताया कि उ. प्र. पर्यटन एवं कारपोरेट प्रायोजकों की मदद से रूमी फाउंडेशन, लखनऊ चैप्टर द्वारा वाजिद अली शाह समारोह को एक पर्यटन कार्यक्रम के रूप में स्थापित किया गया था। जिस प्रकार से इसे पैकेज किया गया और रचनात्मक ढंग से पर्यटन ट्रेवल ट्रेड को प्रस्तुत किया।
इस समारोह को उन सभी संस्कृतियों को शामिल करते हुए मनाया जाता है जिसके वाजिद अली शाह महान प्रशंसक और प्रतिपादक थे। उनके दरबार में भगवान कृष्ण का समारोह कविता पाठ, ठुमरी और कत्थक के माध्यम से मनाया जाता था।