मध्य प्रदेश की मंडियों में प्याज और लहसुन की फसल फेंकने को मजबूर हुआ किसान
नीमचः मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी कृषि उपज मंडी में प्याज के दाम एक दम से कम हो जाने के चलते किसानो में खासी निराशा देखने को मिल रही है. हालात ये है की किसान अपने प्याज को मंडी में ही फेकने को मजबूर है. या फिर वे अपने प्याज को जानवरो को ही खिला रहे हैं. प्याज की सबसे बड़ी मंडी नीमच में प्याज के भाव 50 पैसे से लेकर 5 रुपये किलो तक होने से किसान खासे निराश हैं. मंडी में अच्छे से अच्छे प्याज के भाव 5 रुपये तक ही मिल रहे हैं, जबकि एवरेज प्याज 90 पैसे से 2 रुपये प्रति किलो में ही बिक रही है. ऐसे में किसानों का कहना है की उन्हें उनकी लागत तो दूर आने-जाने का भाड़ा और मजदूरी तक नहीं निकल पा रही है. जिसके चलते वे प्याज को मंडी में छोड़ कर जाने को मजबूर हैं.
किसानों का कहना है कि इस कीमत में फसलों की लागत तो दूर लाने का भाड़ा और मजदूरी तक नहीं निकल पाती. तीन से चार दिनों तक अपनी बारी का इंतजार करने के बाद मंडी में इतने गिरे हुए दामों पर प्याज और लहसुन बिकने से किसानों में निराशा है. गिरे हुए भाव के चलते कुछ किसान अपनी फसल को मंडी में लाने के बजाय फेंकना बेहतर समझ रहे हैं तो वहीं कुछ किसान मंडी में अपनी फसल लावारिस छोड़कर जा रहे हैं. किसानों का यह भी आरोप है की मंडी व्यापारी आपस में मिलकर किसानों की फसलों के जानबूझकर कम दाम लगा देते हैं. जिसके चलते उन्हें मजबूरन अपनी फसल कम दाम में बेचना पड़ती है.
वहीं प्याज के साथ ही लहसुन के दामों ने भी किसानों की परेशानियां बढ़ा दी हैं. किसानो को मंडी में लहसुन के भाव 2 रूपए किलो से लगा कर ढाई रूपए या तीन रूपए तक ही मिल पा रहा है. इस को लेकर किसान काफी दुखी और परेशान लग रहा है. किसानों का कहना है कि एक बीघा के अंदर लहसुन को उगाने में करीब 20 से 25 हजार रूपए तक का खर्चा आता है. जिसमें 12 से 15 क्विंटल लहसुन पैदा होती है. और मंडी में तो मजदूरी भाड़े तक के पैसे भी नहीं निकल पा रहे है. किसानो की मांग है कि उनको एक क्विंटल लहसुन के कम से कम 3 हजार से 4 हजार रूपए तक तो मिलना ही चाहिए.