आत्मनिर्भर बनने के लिए गांधी जी के इस विचार पर काम करना होगा: मुख्यमंत्री
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज यहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 150वीं जयन्ती वर्ष पर आयोजित ‘उत्तर प्रदेश खादी महोत्सव’ का शुभारम्भ करते हुए कहा कि इस महोत्सव के माध्यम से सभी को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में खादी की महत्ता, खादी की आवश्यकता व खादी की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महती भूमिका के साथ-साथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के आदर्शांे और सिद्धान्तों को जानने-समझने का अवसर मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी का मानना था कि खादी स्वदेशी का प्रतीक है और स्वदेशी स्वाबलम्बन का। आत्मनिर्भर बनने के लिए गांधी जी के इस विचार पर काम करना होगा। उत्तर प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए यह आवश्यक है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत प्रदेश के सभी गांव आत्मनिर्भर व स्वतंत्र बनें। खादी लाखों ग्रामीण कारीगरों की आजीविका का स्रोत रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की खादी के प्रति गहरी रुचि है। इसलिए उन्होंने खादी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों का सृजन, समावेशी ग्रामोद्योग के माध्यम से गाँवों का स्थायी विकास तथा खादी के माध्यम से ग्रामीण औद्योगीकरण को बढ़ावा देने का आह्वान किया है। प्रदेश सरकार द्वारा उनके इस आह्वान को जमीन पर उतारने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खादी एवं ग्रामोद्योग को बढ़ावा देने में राज्य सरकार द्वारा लागू की गयी ‘एक जनपद एक उत्पाद’ योजना काफी प्रभावी साबित हो सकती है। प्रदेश के सभी जनपदों में कम से कम एक विशिष्ट उत्पाद मौजूद है। इन उत्पादों की ब्राण्डिंग, मैपिंग और मार्केटिंग करने से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित किये जा सकते हैं। इन उद्योगों तथा उत्पादों को शासकीय प्रोत्साहन की आवश्यकता है और राज्य सरकार इन्हें हर सम्भव सहायता प्रदान करेगी।
स्वच्छ भारत मिशन का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी को स्वच्छता अत्यन्त प्रिय थी। राज्य सरकार ने प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बडे़ पैमाने पर गरीबों के लिए शौचालय निर्मित करवाए हैं। स्वच्छता के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश ने पिछले डेढ़ वर्ष के दौरान लम्बी छलांग लगायी है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता में प्लास्टिक का प्रयोग एक बड़ी बाधा थी। राज्य सरकार द्वारा इस पर चरणबद्ध तरीके से बैन लगाया गया है।
मुख्यमंत्री ने गोसंवर्धन का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें धन की कमी आडे़ नहीं आ रही है। राज्य सरकार द्वारा नगर निगमों को गोसंरक्षण केन्द्र स्थापित करने के लिए धनराशि उपलब्ध करायी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि एक गाय तीस एकड़ खेती के लिए खाद और कीटनाशक उपलब्ध करा सकती है। गोबर गैस प्लाण्ट स्थापित करने से लोगों की ऊर्जा आवश्यकताएं पूरी हो सकती हैं। साथ ही, खाद भी प्रचुर मात्रा में मिल सकती है। उन्होंने कहा कि भारत प्रतिवर्ष 8 लाख करोड़ रुपए का पेट्रोल, डीजल इत्यादि पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है। यदि हम गोबर गैस का प्रयोग शुरू कर दें तो इस आयात में लगभग 2 लाख करोड़ रुपए की कमी की जा सकती है। ऐसे ऊर्जा स्रोतों के उपयोग से काफी बचत की जा सकती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खादी एवं ग्रामोद्योग के क्षेत्र में वर्तमान राज्य सरकार ने विशेष प्रयास किये हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रदेश में पहली बार ‘खादी एवं ग्रामोद्योग विकास तथा सतत् स्वरोजगार प्रोत्साहन नीति’ लागू की गई है। इस नीति से न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में सहायता मिलेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अधिक अवसर भी पैदा होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खादी को बढ़ावा देने और इसके माध्यम से रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए इसे नयी तकनीक से जोड़ना होगा। समय के साथ बदलती हुई तकनीक को अपनाना होगा। इसके दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा परम्परागत चर्खाें की जगह सोलर चर्खाें को बढ़ावा दिया जा रहा है राज्य सरकार इन पर छूट भी दे रही है। उन्होंने कहा कि खादी को प्रमुख ब्राण्ड बनाना होगा। इसे हर मौसम के अनुसार स्वीकार्य बनाना होगा। साथ ही, इसकी स्वीकार्यता बढ़ाने के उद्देश्य से इसे फैशन से भी जोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को जोड़कर रोजगार उपलब्ध कराना होगा ताकि उनका जीवन भी खुशहाल बन सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 823 विकास खण्ड और 653 नगर निकाय हैं। यहां के लोगों को खादी की अवधारणा पर चलते हुए स्वदेशी से जोड़कर स्वावलम्बी बनाना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में खादी का उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने अनेक निर्णय लिये हैं। सरकार ने पं0 दीनदयाल उपाध्याय खादी विपणन विकास सहायता योजना प्रारम्भ की है। खादी की बिक्री पर दी जाने वाली छूट के स्थान पर खादी के उत्पादन पर छूट की व्यवस्था की गई है। खादी के उत्पादन पर दी जा रही छूट से प्रदेश में खादी उत्पादन बढ़ाने में सहायता तो मिलेगी ही, साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में अधिक से अधिक रोजगार पैदा होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व में खादी पर केवल 108 दिनों के लिए 10 प्रतिशत छूट दी जाती थी। इसे हमारी सरकार ने बढ़ाकर पूरे वर्ष के लिए 15 प्रतिशत कर दिया है। इसमें यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि इस 15 प्रतिशत में 5 प्रतिशत अनुदान की धनराशि, खादी एवं ग्रामोद्योग से जुड़े कारीगरों के आधार लिंक खाते में विभाग द्वारा सीधे स्थानान्तरित की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष गांधी जी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर खादी की बिक्री पर भी 60 दिन के लिए 5 प्रतिशत की विशेष छूट दी गयी है। प्रदेश की खादी की संस्थाओं को उनके उत्पादों की बिक्री में सहायता के लिए उन्हें आॅनलाइन प्लेटफार्म पर भी सीधे जोड़ा गया है। इसके अन्तर्गत अमेजन इत्यादि के साथ एम0ओ0यू0 हस्ताक्षरित कर, खादी इकाइयों के उत्पाद अमेजन पर उपलब्ध कराये गये हैं। अब तक 44 इकाइयों के विशेष उत्पाद अमेजन के माध्यम से बिक्री किये जा रहे हैं। इस संख्या में निरन्तर बढ़ोत्तरी हो रही है। अमेजन के अतिरिक्त ‘फ्लिपकार्ट’ जैसी संस्थाओं से भी अनुबन्ध किया जाना प्रस्तावित है, ताकि अधिक से अधिक इकाइयों की सामग्री आॅनलाइन भी उपलब्ध करायी जा सके। राज्य सरकार के प्रयासों से पिछले वर्ष खादी की बिक्री लगभग 700 करोड़ रुपये की हुई थी। इस वर्ष भी खादी की बिक्री में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर पैदा करने के लिए राज्य सरकार द्वारा ‘पं0 दीन दयाल उपाध्याय ग्रामोद्योग रोजगार योजना’ प्रारम्भ की गयी है। इसमें प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना के अन्तर्गत वित्त पोषित इकाइयों को पहले 3 वर्ष के लिए शत प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जा रहा है। इस प्रकार इन इकाइयों के प्रारम्भिक चरण में आर्थिक मदद मिल रही है। ‘खादी एवं ग्रामोद्योग विकास तथा सतत् स्वरोजगार प्रोत्साहन नीति’ के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश देश का प्रथम राज्य है, जिसने सोलर चर्खे से तैयार किये गये कपड़ों को भी खादी की श्रेणी में रखा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे परम्परागत तरीकों से खादी बुनने की विलुप्त होती हुई कला को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। प्रदेश सरकार सोलर चर्खों पर काम करने का प्रशिक्षण देकर, कारीगरों को कच्चा माल मुहैया कराकर उनसे उत्पाद खरीदने का विशेष कार्यक्रम चला रही है, इसमें कारीगरों को सोलर चर्खों पर काम करने का प्रशिक्षण दिया जायेगा एवं उन्हें सुविधाएं मुहैया कराकर रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा। इस क्रम में आज हरित खादी, नाबार्ड एवं उत्तर प्रदेश खादी बोर्ड के मध्य एक समझौता भी किया गया है जो कि निश्चित रूप से सराहनीय है। उन्होंने कहा कि कम विद्युत उपलब्धता वाले क्षेत्रों में सोलर पावर की उपलब्धता हेतु उत्तर प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड एवं यू0एन0ई0पी0 के बीच एक एम0ओ0यू0 भी हस्ताक्षरित किया गया है, जो गरीबों के लिए काफी सहायक और लाभकारी सिद्ध होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग द्वारा पुराने कम्बल कारखानों का पुनरूद्धार कर पुनः उत्पादन करने की प्रक्रिया प्रारम्भ की गयी है। प्रथम चरण में गोपीगंज, भदोही कम्बल कारखाने का संचालन कर उत्पादन प्रारम्भ कराया गया है। खादी में बिक्री को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में खादी पार्क व खादी प्लाजा का निर्माण कराया जायेगा, जिसमें एक ही छत के नीचे प्रदेश तथा देश के अन्य इलाकों में खादी की बिक्री की सहूलियत दी जायेगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा ‘माटी कला बोर्ड’ के गठन का भी निर्णय लिया गया है। इसके माध्यम से मिट्टी से बनने वाले बर्तन और अन्य उत्पादों को बढ़ावा देते हुए, माटी कला में लगे कारीगरों की पहचान कर उन्हें सुविधाएं प्रदान करने, उन्हें मिट्टी का पट्टा आवंटित करने तथा नये और आधुनिक औजार उपलब्ध कराने की जो प्रक्रिया प्रारम्भ की गयी है, इसे और तेजी से आगे बढ़ाया जायेगा। उन्होंने कहा कि इससे कुम्हारी कला को बढ़ावा मिल रहा है। इस वर्ष दीपावली के दौरान मिट्टी के दीयों का प्रयोग बढ़ा है।