हेलिकॉप्टर डील: सीबीआई हिरासत में भेजा गया बिचोलिया क्रिश्चियन मिशेल
नई दिल्ली: अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर डील मामले में भारत की जांच एजेंसियों को बड़ी कामयाबी मिली है. कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले के बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को देर रात एक प्राइवेट प्लेन में दुबई से भारत लाया गया. देर रात उससे CBI मुख्यालय में पूछताछ भी की गई. इसके बाद पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 5 दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया. सीबीआई ने कोर्ट से 14 दिन की हिरासत मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने सिर्फ 5 दिन की हिरासत की मंजूरी दी. कोर्ट ने कहा कि आरोपी का वकील हर रोज़ उससे 2 घंटे मिल सकता है. आरोपी के वकील ने यह दलील दी थी कि वह यहां के कानून के बारे में नहीं जानता, इसलिए उसे आरोपी से मिलने दिया जाए, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया. सीबीआई अब मिशेल के जरिये यह पता लगाएगी कि वीवीआई हेलिकॉप्टर सौदे में किसको-किसको पैसा दिया है. बता दें कि मिशेल क्रिश्चियन से पूछताछ में कई सवालों के जवाब मिलेंगे.
बता दें कि ये पूरा सौदा यूपीए के दौर में हुआ और एनडीए का आरोप है कि इसमें यूपीए के नेताओं की मिलीभगत है. दरअसल एनडीए के लिए ये रफ़ाल सौदे की राजनीतिक काट भी है. बता दें कि सीबीआई की तरफ से बयान जारी कर कहा गया था कि NSA अजित डोभाल के 'निर्देशन के तहत एक अभियान' में क्रिश्चियन मिशेल को भारत प्रत्यर्पित किया गया है. पिछले महीने ही दुबई कोर्ट में उसकी याचिका खारिज हो गई थी उसके बाद यह कार्रवाई की गई है.
आपको बता दें कि साल 2007 में यूपीए सरकार के समय यह सौदा हुआ था. लेकिन 6 साल बाद रिश्वत के आरोप लगने के बाद यह सौदा रद्द कर दिया गया था. अगस्ता-वेस्टलैंड की पैरेंट कंपनी फिनमैकिना पर इटली में भी रिश्वत के आरोप लग चुके हैं. साल 2016 में इसी मामले में वायुसेना के पूर्व चीफ एसपी त्यागी को गिरफ्तार किया गया था.
बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने( ईडी) जून 2016 में मिशेल के खिलाफ दायर आरोप-पत्र में आरोप लगाया था कि उसने अगस्ता वेस्टलैंड से करीब 225 करोड़ रुपये प्राप्त किए. ईडी ने कहा था कि यह पैसा और कुछ नहीं, बल्कि कंपनी द्वारा 12 हेलीकॉप्टरों के समझौते को अपने पक्ष में कराने के लिए वास्तविक लेन-देन के 'नाम पर' दी गई 'रिश्वत' थी. सीबीआई और ईडी द्वारा जांच किए जा रहे मामलों में ग्यूडो हैशकेऔर कार्लो गेरोसा के अलावा मिशेल तीसरा कथित बिचौलिया है. अदालत द्वारा उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने के बाद दोनों जांच एजेंसियों ने उसके खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया था. इसको लेकर कांग्रेस आरोप लगा चुकी है कि केंद्र सरकार सोनिया गांधी को आरोपी बनाने के लिए क्रिश्चयन माइकेल पर दबाव डाल रही है.