तरक़्क़ी करना है तो पढ़ाई करते रहो :प्रो.शारिब रुदौलवी
लखनऊ। हमें दूसरों के लिए कुछ करना चाहिए,अपने लिए तो सभी करते हैं। इसके अलावा रद्दी के टुकड़ों को भी बेकार नहीं फेंकना चाहिए। उनको भी पढऩा चाहिए उससे भी काफी सीखने का मौका मिलता है। अगर तरक्की करना है तो हमेशा पढ़ते रहना चाहिए यह बात मशहूर समालोचक प्रो.शारिब रूदौलवी ने आज शाम यहां कैफी आजमी अकादमी में जश्ने शारिब के तीसरे व आखिरी दिन अपने सम्मान का शुक्रिया अदा करते हुए कही। उधर आखिरी दिन के आखिरी सत्र की अध्यक्षता करते हुए पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री डा.अम्मार रिजवी ने कहा कि इसी तरह का जश्न आने वाले दिनों में डा.आरिफ नकवी के नाम पर होगा जिन्होंने सारे यूरोप में उर्दू को खूब फैलाया है। जबकि शगिर्दाने -ए-शारिब ने घोषणा की है कि अगले साल से जश्ने-शारिब देश के दूसरे शहरों में भी होगा। तीसरे व अंतिम दिन देश भर से आये प्रो.शारिब रुदौलवी के शागिर्दों ने १० पेपर उनकी शान में पढ़े।
प्रो.मोहम्मद जफरउद्दीन ने कहा कि प्रो.शारिब अपनी जिंदगी में ही लिजेंड बन गये, कहा कि अपने उस्तादों की बदौलत ही आज यहां पहुंच सके। उन्होंने कहा कि प्रो.शारिब रुदौलवी सितारों के बीच में चांद की तरह है। रिटायर्ड आईएएस व ख्वाजा मुईनउद्दीन चिश्ती उर्दू अरबी फारसी के संस्थापक कुलपति रहे डा.अनीस अंसारी ने कहा कि तरक्की पंसद तहरीक ने अदब की बहुत खिदमत की। भारत में मुनवादी सिस्टम की वजह से दूसरे मुद्दों को पीछे छोड़ दिया गया है। उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी की चेयरपर्सन प्रो.आसिफा जमानी ने कहा कि प्रो.शारिब उर्दू अदब के सिपहसालार है। आखिरी सत्र के मुख्य अतिथि डा.अब्दुल हक उर्दू यूनिवॢसटी के कुलपति डा.अब्दुल हक ने कहा कि उस्ताद से पहले उस्ताद होना चाहिेए डीन, कुलपति आदि बाद में। उन्होंने कहा कि जब मैंने रिसर्च करना चाही तो १५ प्रोफेसरों को खत लिखे तो इसमें से सिर्फ प्रो.शािरब रुदौलवी ने उनको खत का जवाब दिया। ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती उर्दू यूनिवॢसटी के कुलपति प्रो.माहरूख मिर्जा ने कहा कि प्रो.शारिब रुदौलवी तरक्की पंसद तहरीक के एक सशक्त हस्ताक्षर रहे। दूसरे सत्र में बोलते हुए शाहनवाज कुरैशी ने कहा कि प्रो.शारिब की वजह से रुदौली का नाम सारी दुनिया में मशहूर है।
रिटायर्ड आईएएस पीसी शर्मा ने कहा कि प्रो.शारिब ने नये-नये क्षेत्रों मेे काम किया है। प्रो.साबिरा हबीब नेे कहा कि प्रो.शारिब ने दिलों में अंजुमनें कायम की है। प्रो.डा.सबीहा अनवर ने कहा कि समझ में नहीं आता कि प्रो.शारिब की शख्सियत व उनके फन में कौन बड़ा है यह कहा नहीं जा सकता। वह जितने बड़े समालोचक है उससे भी बड़े इंसान।
प्रो.शारिब रुदौलवी के पुराने दोस्त प्रो.मुजाहिर ने कहा कि आज के दौर में मोहब्बत खत्म होती जा रही है। इस दौर में शारिब के शागिर्दों ने बहुत बड़ा काम किया। अंत में उर्दू दोस्त अंजुमन के सैयद वकार रिजवी ने कहा कि यह जश्न आठ साल से करना चाह रहे थे लेकिन प्रो.शारिब इसे मना कर देते थे। उन्होंने अपने शागिर्दों व चाहने वालों को मायूस नहीं किया। जब उनकी शरीकेहयात की तबियत बहुत खराब थी उसमें भी वह शोआ फ़ातिमा इंटर कालेज जाते और दूसरे लोगों की किताबों पर प्रस्तावना भी लिखते ।