विधानसभा भंग करने पर J&K गवर्नर ने पेश की सफ़ाई
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की ओर से विधानसभा भंग करने के बाद प्रदेश के साथ ही चुनावी समय में राष्ट्रीय राजनीति भी गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने 21 नवंबर को तकरीबन साढ़े पांच महीने के बाद सरकार बनाने का दावा पेश किया था। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख ने इस बाबत राज्यपाल सत्यपाल मलिक को पत्र लिखकर नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस का समर्थन हासिल होने की भी बात कही थी। दूसरी तरफ, सज्जाद लोन ने भी राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। हालांकि, इस सबके बीच राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने की घोषणा कर दी। महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि राज्यपाल ने सरकार बनाने के दावे को लेकर न तो उनके फोन कॉल का जवाब दिया और न ही फैक्स ही रिसीव किया। इस आरोप के बाद सत्यपाल मलिक बचाव की मुद्रा में आ गए हैं। राज्यपाल ने कहा, ‘फैक्स मुद्दा नहीं है। कल (बुधवार 21 नवंबर) ईद थी। दोनों (महबूबा और सज्जाद) समर्पित मुसलमान हैं, ऐसे में उन्हें यह पता होना चाहिए कि इस दिन कार्यालय बंद रहते हैं। यहां तक कि मेरा रसोइया भी छुट्टी पर था। फैक्स रिसीव करने वाले शख्स को तो छोड़ दीजिए, यदि फैक्स मैंने ही रिसीव किया होता तो भी मेरा पक्ष वही होता।’ राज्यपाल ने कहा कि ईद की छुट्टी होने के कारण उन्हें खाना तक देने वाला कोई नहीं था।
अचानक से विधानसभा भंग करने को लेकर विवादों के केंद्र में आए राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अपने फैसले का भी बचाव किया है। उन्होंने कहा, ‘वे लोग कोर्ट क्यों जाएंगे? वे पिछले 5 महीनों से इसकी (विधानसभा भंग करने) मांग कर रहे थे। मैं चाहता हूं कि वे कोर्ट जाएं। यह उनका अधिकार है और उन्हें जाना चाहिए।’ मीडिया रिपोर्ट की मानें तो पीडीपी राज्यपाल के फैसले को कोर्ट में चुनौती दे सकती है। राज्यपाल ने महबूबा मुफ्ती के उस ट्वीट पर भी निशाना साधा जिसमें उन्होंने सत्यपाल मलिक को पत्र लिखने की बात कही थी। गवर्नर ने कहा, ‘क्या सरकारें सोशल मीडिया पर बनती हैं? मैं न तो ट्वीट करता हूं और न ही देखता हूं। मैंने 21 नवंबर का दिन पवित्र होने के चलते यह फैसला (विधानसभा भंग) लिया। वह ईद का दिन था। अब चुनाव आयोग ही इस पर फैसला लेगा कि चुनाव कब कराना है।’
बता दें कि वर्ष 2014 में विधानसभा के लिए चुनाव कराए गए थे। चुनाव परिणाम त्रिशंकु आने के बाद बीजेपी और पीडीपी ने गठबंधन की सरकार बनाई थी। बीजेपी ने जून में महबूबा सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद सरकार गिर गई और प्रदेश में राज्यपाल शासन लागू हो गया। 21 नवंबर को पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को पत्र लिखकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। उन्होंने कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस का समर्थन हासिल होने का भी दावा किया था। बदले राजनीतिक हालात में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा ही भंग कर दी।