रफाएल मामले में AG की दलील पर CJI बोले, कारगिल युद्ध तो 1999-2000 के दौरान हुआ
नई दिल्ली: राफेल मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट में लंबी सुनवाई हुई. केंद्र की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुनवाई के दौरान राफेल की उपयोगिता के बारे में बताते हुए कहा कि अगर तक राफेल जेट हमारे पास होते, तो हम उन जवानों को बचा सकते थे. इस पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (सीजेआई) रंजन गोगोई ने कहा कि कारगिल युद्ध तो 1999-2000 के दौरान हुआ, जबकि राफेल 2014 में आया.
इससे पहले आज सुबह जब सुनवाई शुरू हुई तो कोर्ट ने पूछा कि मामला वायुसेना से संबंधित है तो क्या वहां का कोई प्रतिनिधि मौजूद है, जवाब मिला-नहीं. इस पर कोर्ट ने दो बजे के लिए सुनवाई स्थगित करते हुए वायुसेना के अधिकारियों को समन कर तलब किया. दो बजे जब सुनवाई शुरू हुई तो वायुसेना के वाइस चीफ पहुंचे. कोर्ट ने वाइस चीफ से पूछा कि वो कौन से देश हैं, जिन्होंने राफेल दसाल्ट से खरीदे हैं? इस पर उन्हें बताया गया कि 'मिस्र, फ्रांस, कतर और भारत'. CJI ने पूछा- इस वक्त कौन-कौन से देश राफेल उड़ा रहे हैं? जिसके जवाब में भारतीय वायुसेना ने कहा कि फ्रांस, मिस्र और कतर.
इसके साथ ही, रक्षा मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी भी अदालत में पेश हुए, जिनसे सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि '2015 में ऑफसेट गाइडलाइंस में बदलाव क्यों किए गए? देश के हित का क्या, अगर ऑफसेट पार्टनर प्रोडक्शन न करता तो'? बहरहाल सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया.
चीफ जस्टिस रंजन गोगाई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि राफेल सौदे की जांच हो या नहीं. इससे पहले प्रधान न्यायाधीश ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण से कहा, हम आपको पूरी सुनवाई का मौका दे रहे हैं. इसका सावधानीपूर्वक इस्तेमाल कीजिये, केवल जरूरी चीजों को ही कहिये.
राफेल मामले पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने न्यायालय से कहा, सरकार गोपनीयता के प्रावधान की आड़ ले रही है, उसने राफेल विमानों की कीमत का खुलासा नहीं किया है. सुनवाई की शुरुआत में याचिकाकर्ता आप नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह के वकील की तरफ से कहा गया कि 'केंद्र सरकार कोर्ट में राफेल एयरक्राफ्ट की मूल्य का खुलासा नहीं कर रही है, जबकि इसके मूल्य का खुलासा पहले ही सरकार दो बार कर चुकी है'.
आप नेता के वकील ने कहा कि 'राफेल डील को लेकर सरकार कम से कम 2 बार उसकी कीमत की जानकारी दे चुकी है. केंद्र सरकार के रक्षा मंत्री एमओएस सुभाष भामरे ने संसद में राफेल एयरक्राफ्ट की कीमत 670 करोड़ बताई थी'. उनकी तरफ से आगे कहा गया कि 25 मार्च, 2015 तक 126 विमानों का पहला सौदा हुआ था. अचानक दो हफ्तों से भी कम समय में, पहले सौदे को रद्द किए बिना केंद्र ने नए सौदे की घोषणा कर दी. उन्होंने यह भी दलील दी कि पहले डील का अनाउंसमेंट हुआ. उसके बाद DAC की परमिशन ली गई.