कलमगीरों की कलम को तलवार से श्रेष्ठ माना जाता है: राम नाईक
लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज गोमतीनगर के होटल जेनेक्स में आयोजित साहित्यगंधा सम्मान समारोह – 2018 के अवसर पर 11 साहित्यकारों को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। साहित्यगंधा सम्मान का आयोजन महाकवि गुलाब खण्डेलवाल की स्मृति में किया गया था। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ0 उदय प्रताप सिंह, कुंवर बेचैन, श्री मुकुल महान, समीर शेख, अभय सिंह निर्भीक व अन्य ख्याति प्राप्त साहित्यकार उपस्थित थे। समारोह में विदश से आये स्वर्गीय गुलाब खण्डेलवाल के पुत्र शरद खण्डेलवाल ने राज्यपाल को अपने पिता की कृति भेंट की। कार्यक्रम का आयोजन साहित्यगंधा के मुख्य संपादक सर्वेश अस्थाना द्वारा किया गया।
समारोह में अनवरतगंधा सम्मान कृष्ण मित्र, गीतगंधा सम्मान डाॅ0 सुरेश, ग़ज़लगंधा सम्मान डाॅ0 कलीम क़ैसर, लोकगंधा सम्मान सदाशिव त्रिवेदी, ओजगंधा सम्मान मदन मोहन समर, कथागंधा सम्मान संजीव जायसवाल संजय, व्यंग्यगंधा सम्मान श्रीमती इन्द्रजीत कौर, बाल साहित्यगंधा सम्मान सत्य नारायण सत्य, पत्र-साहित्यगंधा सम्मान संतोष बाल्मीकि, युवागंधा सम्मान डाॅ0 रूचि चतुर्वेदी, चित्रगंधा सम्मान हरिमोहन वाजपेयी ‘माधव’ को दिया गया।
राज्यपाल ने साहित्यकारों को सभा में बोलते हुए कहा कि सर्वेश अस्थाना मूलतः एक कवि हैं। कवि को बोलने की आजादी होती है क्योंकि जहां न पहुंचे रवि वहां पहंुचे कवि। साहित्यगंधा परिवार द्वारा साहित्य की विभिन्न विधाओं के लिए 11 विभूतियों को सम्मानित किया गया है। सम्मान के श्रंखला में आत्मकथा गंधा सम्मान जोड़ देते तो क्या पता वह सम्मान मुझे मिल जाता।’ इस पर आयोजकों ने तत्काल अमल करते हुए राज्यपाल की पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ को भी सम्मानित करने का निर्णय लिया और वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ0 उदय प्रताप सिंह द्वारा राज्यपाल का भी सम्मान अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर किया गया।
श्री नाईक ने कहा कि साहित्य सेवा बड़ी सेवा है, क्योंकि साहित्य के बिना समाज अधूरा है। एक साहित्यकार संवेदनशील होकर महसूस करता है फिर शब्दों के माध्यम से अपना भाव प्रदर्शित करता है, जिसका समाज पर व्यापक असर भी होता है। स्वतंत्रता प्राप्त करने का सबसे बड़ा हथियार साहित्य और पत्रकारिता रहा है। इस लिए कलमगीरों की कलम को तलवार से श्रेष्ठ माना जाता है। कलम की ताकत अद्वितीय होती है, जो समाज पर व्यापक असर डालती है। हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है, इसकी उन्नति ही हमारी राष्ट्रीय पहचान है। भाषाएं एक दूसरे को जोड़ने का माध्यम होती है। उन्होंने कहा कि आत्मा और शरीर का जो संबंध है वही संबंध साहित्य और समाज का है।
राज्यपाल ने इस अवसर पर प्रख्यात मराठी व्यंग्यकार एवं साहित्यकार पद्म भूषण प्रो0 पी0एल0 देशपांडे को याद करते हुए कहा कि प्रोफेसर देशपांडे ने लिखा था कि ‘कल अगर मेरी प्रतिमा स्थापित करना तय हुआ तो उसके नीचे केवल इतना लिखिए कि इस व्यक्ति ने हमें हंसाया है।’ उन्होंने इस अवसर पर अपनी पुस्तक ‘चरेवैति!चरेवैति!!’ की यात्रा बताते हुए कहा कि वास्तव में वे एक ‘एक्सीडेंटल लेखक हैं,’ जिन्होंने इससे पहले कभी कोई पुस्तक नहीं लिखी।