मध्य प्रदेश में आसान नहीं शिवराज की वापसी
मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव करीब हैं। ऐसे में सर्वेक्षणों और ओपिनियन पोल के माध्यम से जनता की नब्ज टटोलने की कोशिश की जा रही है। इंडिया टीवी-CNX ओपिनियन पोल में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। वर्षों से राज्य की सत्ता में आने की बाट जो रही कांग्रेस की स्थिति लगातार बेहतर होती जा रही है। इंडिया टीवी-CNX की ओर से कराए गए पहले ओपिनियन पोल में बीजेपी को 128 और कांग्रेस को 85 सीटें मिलने की संभावना जताई गई थी। ताजा पोल में बीजेपी को 122 तो कांग्रेस को 95 सीटें मिलने की बात सामने आई है। इसका मतलब यह हुआ कि सत्तारूढ़ बीजेपी को 6 और सीटों का नुकसान हो सकता है। दूसरी तरफ, कांग्रेस की सीटों में 10 का ईजाफा होने की संभावना है। बीजेपी शासित इस राज्य में 28 नवंबर को मतदान होगा। ऐसे में आने वाले समय में इन आंकड़ों में और बदलाव की संभावना है। मध्य प्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं। फिलहाल शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी की पूर्ण बहुमत वाली सरकार है।
शिवराज सिंह चौहान लगातार चौथी बार सत्ता हासिल करने की कोशिश में जुटे हैं। वहीं, कांग्रेस वर्ष 2003 से ही सरकार से बाहर है। ऐसे में दोनों दल चुनाव जीतने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस शिवराज की अगुआई वाली बीजेपी को प्रदेश के हर क्षेत्र में चुनौती दे रही है। चंबल क्षेत्र में कुल 34 सीटें हैं। इंडिया टीवी-CNX ओपिनियन पोल की मानें तो इस क्षेत्र की 15 सीटें कांग्रेस और 14 बीजेपी के खाते में जा सकती है। वहीं, बसपा को एक और अन्य को चार सीटें मिलने की संभावना है। इसी तरह बघेलखंड रीजन में कुल 52 सीटें हैं। इनमें बीजेपी को 26 तो कांग्रेस 23 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। भोपाल क्षेत्र में भी कांग्रेस सत्तारूढ़ बीजेपी को कड़ी टक्कर देती दिख रही है। यहां कुल 22 सीटें हैं। बीजेपी 13 तो कांग्रेस के खाते में 9 सीटें जा सकती हैं। बता दें कि वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 165 सीटें हासिल की थीं।
इंडिया टीवी-CNX के दूसरे ओपिनियन पोल में न केवल बीजेपी की सीटें कम आने की संभावना जताई गई है, बल्कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता में भी गिरावट दर्ज की गई है। पहले ओपिनियन पोल में 40.35 फीसद लोगों ने शिवराज को सीएम पद का पसंदीदा चेहरा बताया था। दूसरे पोल में यह आंकड़ा 40.11 प्रतिशत हो गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ की लोकप्रियता में जहां गिरावट दर्ज की गई, वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव में वृद्धि दिखाई गई है।