अमेरिकी मध्यावधि चुनाव: दर्जनभर भारतीय अमरीकियों को मिली जीत
नई दिल्ली: डेमोक्रेटिक पार्टी के चार भारतीय अमेरिकी उम्मीदवारों को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में दोबारा चुना गया है. अमेरिकी कांग्रेस में भारतीय अमेरिकियों के इस अनौपचारिक समूह को ‘समोसा कॉकस’ कहते हैं. बेहद ज्यादा ध्रुवीकरण वाले मध्यावधि चुनावों में देशभर में भारतीय मूल के लगभग एक दर्जन से अधिक लोगों ने जीत दर्ज की है. इलिनॉय जिले से राजा कृष्णमूर्ति को दूसरे कार्यकाल के लिए 30 प्रतिशत वोटों की मार्जिन से दोबारा चुना गया है. उन्होंने भारतीय-अमेरिकी रिपब्लिकन विरोधी जेडी दिगानकर को हराकर जीत दर्ज की है.
तीन बार से सांसद रहे डॉक्टर एमी बेरा ने कैलिफोर्निया से चौथी बार जीतकर रिकॉर्ड कायम किया है. लेकिन पिछले तीन चुनावों की तरह डॉ. बेरा को वोटों की गिनती के लिए हफ्तों इंतजार नहीं करना पड़ा. उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी के एंड्रयू ग्रांट को पांच प्रतिशत वोटों से हराया है.
वहीं भारतीय मूल के रो खन्ना ने कैलिफोर्निया के सिलिकॉन घाटी में कांग्रेस के 17वें जिले में 44 प्रतिशत मतों के अंतर के साथ रिपब्लिकन पार्टी के रॉन कोहेन को हराया. जीत के साथ ही उन्होंने कहा, 'हम आर्थिक और विदेशी नीति लोकप्रियता के लिए डेमोक्रेट के साथ सदन पर दबाव डालेंगे.'
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में एकमात्र भारतीय-अमेरिकी महिला कांग्रेसी सांसद प्रमिला जयपाल ने अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी क्रेग केलर को 66 प्रतिशत मतों से हराकर रिकॉर्ड तोड़ जीत दर्ज की. सिएटल में अपने विजयी भाषण के दौरान प्रमिला जयपाल ने कहा, 'डेमोक्रेट को दोबारा अमेरिकी प्रतिनिधि सभा को नियंत्रण में लाने के लिए अमेरिकी लोगों ने वोट दिया है. अब हम सरकार और विपक्ष के बीच संतुलन को बहाल कर सकेंगे. हम ट्रंप प्रशासन की विनाशकारी योजनाओं के खिलाफ और भी दृढ़ता से आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं.'
हालांकि अमेरिकी कांग्रेस में भारतीय अमेरिकियों का अनौपचारिक समूह कथित ‘समोसा कॉकस’ अपनी संख्या बढ़ाने में विफल रहा है. नए भारतीय अमेरिकी उम्मीदवारों में से छह से अधिक प्रतिनिधि सभा में नहीं जा पाएंगे. प्रतिनिधि सभा भारतीय संसद में लोकसभा के बराबर मानी जाती है. इन प्रत्याशियों में से अधिकांश ने अपने विरोधियों को कड़ी टक्कर देने और धन जुटाने को लेकर ध्यान अपनी तरफ खींचा.