नई दिल्ली: सीबीआई में आपसी कलह की कीमत अब एनडीए सरकार को चुकानी पड़ सकती है। ​यूके की अदालत ने भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ दायर किए गए सीबीआई के मुकदमे को खारिज कर दिया है। मुकदमा खारिज करने की वजह कोर्ट ने सीबीआई के कमजोर दस्तावेज और लचर पैरवी को बताया है। कोर्ट के इस फैसले का सीधा फायदा शराब कारोबारी विजय माल्या को होने की उम्मीद है। एनडीए के लिए ये फैसला चिंतित करने वाला है। क्योंकि साल 2018 में कई राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों में विपक्षी कांग्रेस अब इस मामले को तूल दे सकती है।

कोर्ट ने कहा कि भारत की तरफ से पेश किए गए दस्तावेज में एक भी साक्ष्य नहीं है। ये सिर्फ कागज के टुकड़े हैं। भारतीय वकीलों ने आरोप लगाते हुए जो बातें कहीं हैं वह सिर्फ और सिर्फ कहानी हैं। भारत के द्वारा पेश किए गए दस्तावेज तो इस लायक भी नहीं हैं कि उन पर लिखित फैसला दिया जा सके।

बता दें कि बीते दिनों इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि माल्या के देश छोड़कर फरार होने पर सीबीआई का तर्क है कि उस वक्त माल्या को रोकने के लिए पर्याप्त कारण नहीं थे। साथ ही विभिन्न बैंकों ने भी माल्या के खिलाफ मिली कानूनी सलाह पर कोई कारवाई नहीं की और माल्या को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया।

विजय माल्या के मामले में इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार, साल 2017 में विजय माल्या ने स्विट्जरलैंड के एक बैंक में 170 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए थे, जिस पर ब्रिटिश अथॉरिटीज ने आपत्ति जतायी थी। इसके साथ ही यूके फाइनेंशियल इंटेलीजेंस सर्विस यूनिट (UKFIU) ने 28 जून, 2017 को भारतीय जांच एजेंसियों को भी माल्या के इस कदम के बारे में आगाह किया था। ताकि माल्या को लोन देने वाले 13 भारतीय बैंक एक संघ बनाकर यूके में माल्या की संपत्ति को फ्रीज करा सकें।

उल्लेखनीय है कि नवंबर, 2017 में ब्रिटेन ने माल्या के खिलाफ वर्ल्डवाइड फ्रीजिंग ऑर्डर लागू कर दिया था। लेकिन तब तक विजय माल्या काफी रकम स्विट्जरलैंड भेज चुका था। सूत्रों के अनुसार, UKFIU ने विजय माल्या के बैंक खातों में लेन-देन को SAR (Suspicious Activity Report) में तब्दील कर दिया था और सीबीआई और ईडी को इस बारे में सूचित भी किया। दोनों देशों की जांच एजेंसियों के बीच लंदन में इस संबंध में एक बैठक भी हुई थी।

हालांकि जब तक भारतीय बैंक या जांच एजेंसियां कुछ करते तब तक काफी देर हो चुकी थी। फिलहाल 5 जुलाई, 2018 को एसबीआई ने ब्रिटेन में माल्या की संपत्ति को फ्रीज करने के लिए सूचीबद्ध किया। उधारदाता बैंकों ने माना कि माल्या की संपत्ति के स्वामित्व की जो उलझी हुई संरचना है, उसे देखते हुए माल्या की संपत्ति की पहचान की जाए और उसके खिलाफ दिवालियापन की कार्रवाई की जाए। इसके साथ एक हाईकोर्ट एनफोर्समेंट ऑफिसर की नियुक्ति कर माल्या की चल संपत्ति जैसे लेडीवॉक और ब्रेम्बले लॉज आदि को सीज कर उनकी नीलामी की जाए।

बता दें कि विजय माल्या ने बीते दिनों लंदन में अपने एक बयान में कहा था कि उसने भारत छोड़ने से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी। विजय माल्या के इस बयान के बाद से भारतीय राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। कांग्रेस ने विजय माल्या के मुद्दे पर पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल खड़े किए हैं, साथ ही वित्त मंत्री अरुण जेटली को बर्खास्त करने की मांग की है।