राम के चरित्र व कार्यशैली में ही मंदिर समस्या का हल छिपा है: केशव चंद्र
बहुजन विजय पार्टी ने दिया मंदिर निर्माण का नया फार्मूला, वीरोचित तरीके से हो मंदिर निर्माण
लखनऊ। विपक्षी दल मोर्चा संयोजक व बहुजन विजय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव चन्द्र ने कहा कि श्रीराम के चरित्र व कार्यशैली में ही मंदिर समस्या का हल छिपा है। रावण ने मां सीता का अपहरण किसी कोर्ट से पूछकर नहीं किया था, बाबर ने मंदिर किसी कोर्ट से पूछकर नहीं तोड़ा और जनता ने भी बाबरी ढ़ांचा किसी कोर्ट से पूछकर नहीं ढ़हाया। श्रीराम ने पहले प्रार्थना की फिर युद्ध का वीरोचित मार्ग अपना रावण वध कर ही माता सीता को पाया। उन्होंने कहा कि ढ़ांचा गिराना जनता का फैसला था और अब मंदिर बनाना भी जनता का कार्य होना चाहिए। इसमें सरकार या कोर्ट कुछ भी नहीं कर सकती।
केशव चन्द्र ने आज संवाददाताओं से कहा कि मंदिर निर्माण उनकी पार्टी का एजेंडा नहीं है फिर भी देश में अमनचैन व न्यायपालिका के सम्मान के लिए वे इस समस्या का समाधान चाहते हैं। उन्होंने दावे से कहा कि मंदिर निर्माण तभी हो सकेगा जब श्रीराम की शिक्षाओं पर कार्य होगा। नपंुसकता व दयनीयता पूर्वक बनाया गया श्रीराम मंदिर श्रीराम का मंदिर कदापि नहीं हो सकता और न ही ऐसा मंदिर प्रभु श्रीराम व उनके भक्तों को स्वीकार होगा।
उन्हांेने जोर देकर कहा कि श्रीराम अप्रतिम वीर व आदर्श पुरूष थे तथा उनका मंदिर वीरोचित शौर्य व सम्मान से बने तो ठीक वरना सरयू में इतना जल है कि मंदिर निर्माण के नाम पर दशकों से देशवासियों की भावनाओं से खेलकर अपनी दूकान चला रही भाजपा, संघ व विहिप के सभी कार्यकर्ता व पदाधिकारी शर्म के मारे उसमें डूबकर मर सकते हैं।
बीवीपी अध्यक्ष ने कहा कि कारसेवकों ने अपने प्राण देकर व गोलियां खाकर बाबरी मस्जिद से मुक्ति पाई है। उन शहीदों का भी अपमान नहीं होना चाहिए। इन शहीदों को अमर शहीद का दर्जा मिलना चाहिए जिन्होंने सरकार व कोर्ट की कोई परवाह नहीं की व ढ़ांचा तोड़ा, उन्हें अमर शहीदों का सम्मान आजतक सरकारों ने नहीं दिया। उन्हांेने कहा कि अगर देश में कोई उपद्रव होता है तो सरकार व कोई कोर्ट उसे रोक नहीं पायेगी, क्योंकि जनता का मानना है कि श्रीराम देश के संविधान व कोर्ट से ऊपर हैं तथा भक्त व भगवान के बीच कोई कोर्ट कैसे आ सकती है?
उन्हांेने कहा कि प्राकृतिक न्याय भी यही है कि जैसे बाबर ने मंदिर छीना था, हिन्दू भी उसे वैसे ही छीन लें। इसका फैसला सीधे जनता करे व कोर्ट का सम्मान सुरक्षित रहे जो आज कई कारणों से खतरे में है। इसी प्रकरण में उन्होंने कुछ दिनों पहले अमित शाह के दिये बयान को सर्वथा उचित बताया जिसमें उन्हांेने कहा था कि अदालतों को कोई ऐसा फैसला नहीं देना चाहिए जिसका अनुपालन न हो सके। उन्हांेने भाजपा नेता व केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयान की भी प्रशंसा की जिसमें उन्हांेने कहा था कि राममंदिर व जनसंख्या कानून के लिए राजनीति भी छोड़ी जा सकती है।
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि श्रीराम के अयोध्या लौटने पर ही जब सबसे पहले दीपावली की खुशियां मनायी गयी थीं तो अब जब तक श्रीराम तम्बू में हैं या जबतक मंदिर निर्माण नहीं हो जाता, देशवासी अभियान चलाकर विरोधस्वरूप उस समय तक दीपावली का बहिष्कार करें।