शिवसेना ने CBI को बताया सरकार का कुत्ता
राकेश अस्थाना को कहा, भाजपा का 'शार्पशूटर
नई दिल्ली: भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय लेख के जरिए मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। हाल ही में सामना के संपादकीय में एक लेख लिखा गया है, जिसका शीर्षक ‘चॉपस्टिक की काड़ी’ दिया गया है। इस लेख के जरिए शिवसेना ने पीएम मोदी के जापान दौरे पर चॉपस्टिक से खाना खाना सीखने और वहीं दूसरी तरफ देश की अहम लोकतांत्रिक संस्थाओं में हो रहे हंगामों का उल्लेख कर मोदी सरकार को निशाने पर लिया है। शिवसेना के इस लेख के अनुसार, “दिल्ली की राज व्यवस्था की स्थिति ‘तांगा पलटा, घोड़े फरार’ जैसी दिखाई दे रही है। पहले हमारी न्याय व्यवस्था में बगावत हुई और 4 प्रमुख न्यायमूर्तियों ने पत्रकार परिषद बुलाकर बगावत की। अब सीबीआई में उसी तरह का कोहराम दिखाई दे रहा है। यह सबकुछ जब यहां (स्वदेश) हो रहा है, वहीं मोदी जापान दौरे पर थे और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे उन्हें प्लास्टिक के चॉपस्टिक से खाना किस तरह खाया जाए, इसका प्रशिक्षण दे रहे थे! यहां देश में अराजक स्थिति है और जापान में प्रधानमंत्री मोदी ‘चॉपस्टिक डांडिया’ खेलते हुए दिखाई दे रहे हैं।”
CBI सरकार का ‘कुत्ता’ – शिवसेना ने इस लेख में लिखा है कि “सीबीआई पर पहले भी आरोप लगे हैं, लेकिन आज जिस तरह से कीचड़ उछल रहा है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। ऐसा लगता है कि सीबीआई, भाजपा सरकार के घर बंधा हुआ कुत्ता है। उस कुत्ते के पेट में आज कोई भी लात मार रहा है, यह तस्वीर अच्छी नहीं है।” शिवसेना के अनुसार, “मोदी सरकार द्वारा नामित विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने प्रधानमंत्री कार्यालय के नाम पर जो सीधे हस्तक्षेप किए, उसी की वजह से वर्मा बनाम अस्थाना गिरोह युद्ध सीबीआई में जारी हुआ। इसमें एक दूसरे के लोगों को गिरफ्तार करने से लेकर कार्यालय पर छापा मारने का तमाशा हुआ। जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रशासन की धज्जियां उड़ गईं।”
अस्थाना, BJP के ‘शार्पशूटर’- शिवसेना के अनुसार, “राहुल गांधी ने सीबीआई विवाद को रफाल मामले की जांच से जोड़ा। अस्थाना गुजरात कैडर के अधिकारी हैं और वे मोदी-शाह के अत्यंत विश्वसनीय हैं। इस संदर्भ में आपत्ति जैसा कुछ भी नहीं है, लेकिन उनकी निष्पक्षता पर आशंका है और भाजपा ‘शार्प शूटर’ के रुप में ही जाने जाते हैं।” लेख के अनुसार, बिहार के बदनाम सृजन घोटाले से इन्हीं राकेश अस्थाना ने नीतीश कुमार को बचाया था और उसी दबाव के चलते नीतीश कुमार को लालू का साथ छोड़ने पर मजबूर कर भाजपा के तंबू में धकेला गया। चारा घोटाले में लालू यादव को गिरफ्तार करने वाले यही अस्थाना थे। 2002 में गुजरात के गोधरा में हुए साबरमती एक्सप्रेस अग्निकांड मामले की जांच के प्रमुख के रुप में भी तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने इन्हीं की नियुक्ति की थी।”
राज व्यवस्था का एक-एक खंभा ध्वस्त किया जा रहाः शिवसेना ने अपने इस लेख में लिखा है कि ‘राज व्यवस्था का एक-एक खंभा ध्वस्त किया जा रहा है। कैबिनेट का कोई मतलब नहीं रह गया है। गृहमंत्री हैं पर सीबीआई जैसी संस्थाओं पर नियंत्रण प्रधानमंत्री कार्यालय से हो रहा है। संसद को भी बहुत महत्व नहीं दिया जा रहा है। देश के प्रमुख स्तंभों की आज ‘चॉपस्टिक की काड़ी’ जितनी भी कीमत नहीं बची है। हिंदुस्तानी राज व्यवस्था के चार प्रमुख स्तंभ ही अब काड़ी बन गए हैं।’