राफेल मुद्दा देश की सुरक्षा से जुड़ा है, सरकार दूर करे दुविधा : मनीष तिवारी
नई दिल्ली: कांग्रेस ने एक बार राफेल मुद्दे पर केंद्र सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस प्रवक्ता और पूर्व मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि राफेल मुद्दा देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है लिहाजा सरकार को इसे लेकर हर तरह की दुविधा दूर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम मांग करते हैं कि पीएम मोदी और उनके रक्षा मंत्री राफेल जहाज की कीमत को लेकर सरकार की स्थिति स्पष्ट करें. मनीष तिवारी ने कहा कि फ्रांस के साथ जिस करार की बात हो रही है उसमें 18 आर्टिकल हैं .क्या पीएम और रक्षा मंत्री बताएंगे कि आखिर इन 18 आर्टिकल में से कौन से आर्टिकल के आधार पर आम जनता से राफेल की कीमत को छिपा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम अपनी मांग को दोबारा दोहराना चाहते हैं कि एक संयुक्ता संसदीय समिति का तुरंत गठन और राफेल लड़ाकू विमान से जुड़े जितने भी पक्ष हैं वह आम जनता के सामने आएं.
साथ ही मनीष तिवारी ने कहा कि जिस तरह से 2जी मामले में हमारी सरकार ने संयुक्त संसदीय समिति गठित की थी ठीक उसी तरह इस मामले में भी होना चाहिए.उन्होंने कहा कि जुलाई 2015 तक 126 जहाज खरीदने की प्रक्रिया चलती रहती है और एकाएक पीएम के फ्रांस दौरे पर जाते हैं और यह संख्या 136 हो जाते हैं. गौरतलब है कि राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अरुण शौरी और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से दस दिनों के भीतर सील बंद लिफाफे में राफेल विमान की कीमत और उसके डिटेल जमा करने को कहा है.
बता दें कि पिछली बार सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ सौदे की प्रक्रिया की जानकारी मांगी थी. मगर इस बार सुप्रीम कोर्ट ने महज 10 दिनों के भीतर राफेल की कीमत और उसकी विस्तृत जानकारी मांगी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार जो भी जानकारी कोर्ट को दे, वह याचिकाकर्ताओं को भी दे ताकि वह इस पर अपना जवाब दे सके. कोर्ट ने कहा कि सरकार को लगता है कि कोई जानकारी गोपनीय है तो वह उसे याचिकाकर्ता को देने से मना कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को कहा है कि वह राफ़ेल डील में क़ीमत के बारे में जानकारी दस दिनों में सीलबंद लिफ़ाफ़े में कोर्ट को दें और ऑफसेट पार्टनर कैसे चुना गया ये भी बताएं.
याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि इस मामले में कोर्ट की निगरानी में जांच होनी चाहिए. तो इस पर CJI ने कहा कि अभी उसके लिए वक्त लग सकता है. पहले उन्हें (सीबीआई को) अपना घर (विभाग) तो व्यवस्थित कर लेने दो. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो पब्लिक डोमेन में जानकारियां हैं, उसे दें.