लखनऊ में सीबीआई दफ्तर के बाहर कांग्रेस का ज़ोरदार प्रदर्शन
पुलिस ने किया लाठीचार्ज, राजबब्बर समेत अन्य नेताओं ने दी गिरफ्तारी
लखनऊ: राजधानी लखनऊ में आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर के नेतृत्व में पार्टी नेताओं ने सीबीआई दफ्तर के पास बड़ा प्रदर्शन किया। केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान पुलिस और कांग्रेस नेताओं के बीच भिड़ंत हो गई। प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने जमकर लाठियां भांजीं। इसके बाद राजबब्बर समेत सभी नेताओं को गिरफ्तार कर कैन्ट थाने ले जाया गया। करीब 3 बजे सभी नेताओं को छोड़ दिया गया।
इससे पहले, तय समय से पहले ही कांग्रेसी नवल किशोर रोड स्थित सीबीआई दफ्तर पहुंचना शुरू हो गये थे। दफ्तर के बाहर पुलिस ने बेरिकेडिंग कर रखी थी। करीब 4 घंटे चले घटनाक्रम के दौरान कांग्रेस नेताओं की पुलिस से कई बार झड़प भी हुई।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व में आयोजित इस धरना-प्रदर्शन में भारी पुलिस बल द्वारा जर्बदस्त बैरीकेडिंग की गयी एवं कई चरणों में लाठीचार्ज किया गया जिसमें दर्जनों कार्यकर्ताओं को चोटें आयी और प्रदेश कांग्रेस के सचिव एवं प्रभारी प्रशासन श्री अभिमन्यु सिंह का हाथ टूट गया जिन्हें लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं सर्वश्री हनुमान त्रिपाठी, श्रोत गुप्ता, पंकज तिवारी, अंशू अवस्थी, पंकज मिश्रा, मेंहदी हसन, कोणार्क दीक्षित, अजीत सिंह, अभिषेक पटेल, शुभम सिंह अनंत, सोमेश चैहान, अविरल, संदीप पाल, शहनवाज आदि को भी चोटें आयीं।
सीबीआई मुख्यालय पर मौजूद हजारों कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि वह 18 घंटे काम करते हैं वह 18 घंटे काम नहीं बल्कि देश का काम लगाने का काम करते हैं। राजबब्बर ने कहा कि राफेल डील को लेकर सिविल सोसाइटी द्वारा जांच के लिए जो आवेदन किये गये थे उस पर सीबीआई के डायरेक्टर ने जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी थी उसी से डरकर आधी रात को उन्हें हटाने का फैसला किया गया जो कि पूरी तरह असंवैधानिक है। मौजूदा केन्द्र सरकार सीबीआई सहित सभी संवैधानिक संस्थाओं का अवमूल्यन करने पर अमादा है, जिसका परिणाम है कि इतिहास में पहली बार जहां सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठ जजों को जनता के समक्ष न्याय मांगने के लिए प्रेसवार्ता करनी पड़ी, वहीं सीबीआई के डायरेक्टर को बिना संवैधानिक नियम के भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार द्वारा पद से हटाने/छुट्टी पर भेजने का कृत्य किया गया, जेा कि गैर कानूनी है। देश की सबसे महत्वपूर्ण जांच एजेंसी सीबीआई मुख्यालय में मध्य रात्रि को छापेमारी कर कार्यालय सीज कर जांच से सम्बन्धित सभी अधिकारियों का ट्रान्सफर करना पड़ा जिससे कि देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई की विश्वसनीयता और साख पर एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ है। उससे भी गंभीर बात यह कि असंवैधानिक रूप से ड्यूटी से छुट्टी पर भेजे गये सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के घर के पास संदिग्ध रूप से चार आईबी के अधिकारी पकड़े गये। इस सबसे स्पष्ट है कि सरकार की मंशा पूरी तरह से संविधान विरोधी और अलोकतांत्रिक है। उससे भी गंभीर मामला हुआ कि देश के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने प्रेसवार्ता करके दस वर्ष तक मोदी सरकार और चलने तथा देश में गठबन्धन की सरकार न आने देने की बात कहना, इस बात का संकेत है कि केन्द्र की मोदी सरकार अपने राजनैतिक विरोधियों से अमर्यादित रूप से नौकरशाहों के माध्यम से राजनीतिक बयानबाजी कराकर भारत में लोकतंत्र का गला घोंटना चाहती है। यह देश के लिए कतई उचित नहीं है। कांग्रेस पार्टी ने इस देश को न केवल आजाद कराया है बल्कि बड़े त्याग और बलिदान से दुनिया का सबसे सुदृढ़ लोकतांत्रिक जनअधिकार सम्पन्न देश के रूप में प्रतिस्थापित किया है। आज जब मौजूदा सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों को नष्ट करने पर अमादा है। कांग्रेस पार्टी देश की सर्वोच्च जांच एजेन्सी एवं लोकतांत्रिक संस्थाओं की मर्यादा बनाये रखने के लिए निरन्तर संघर्ष करेगी और इस तानाशाह सरकार को उखाड़ फेंकने तक संघर्ष जारी रहेगा।
सीबीआई मुख्यालय से भारी पुलिस बल द्वारा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व में कांग्रेसजनों को गिरफ्तार किया गया परन्तु पर्याप्त मात्रा में बसें न होने के कारण प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बस से उतर गये और सिकन्दरबाग चौराहे तक पैदल मार्च किया। तदुपरान्त बसों में भरकर कैण्ट थाने ले जाया गया जहां एसीएम द्वारा निजी मुचलके पर सभी कांग्रेसजनों को रिहा किया गया।