सुभाष चंद्र बोस के बहाने लाल क़िले से पीएम मोदी ने फिर कांग्रेस को कोसा
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजाद हिंद सरकार की 75वीं वर्षगांठ पर लाल किले पर राष्ट्रध्वज फहराया। पारंपरिक रूप से देश के प्रधानमंत्री 15 अगस्त को ही ऐतिहासिक लाल किले पर राष्ट्रध्वज फहराते हैं। आजाद हिंद सरकार की स्थापना सुभाष चंद्र बोस के विचारों से प्रेरित होकर 21 अक्टूबर, 1943 को सिंगापुर में की गई थी। इस मौके पर पीएम ने कहा, 'आज मैं उन माता पिता को नमन करता हूं जिन्होंने नेता जी सुभाष चंद्र बोस जैसा सपूत देश को दिया। मैं नतमस्तक हूं उस सैनिकों और परिवारों के आगे जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को न्योछावर कर दिया।' साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस पर हमला करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ये भी दुखद है कि एक परिवार को बड़ा बताने के लिए नेताजी के योगदान को भी भुलाने का प्रयास किया गया।'
पीएम मोदी ने कहा, 'आजाद हिन्द सरकार सिर्फ नाम नहीं था, बल्कि नेताजी के नेतृत्व में इस सरकार द्वारा हर क्षेत्र से जुड़ी योजनाएं बनाई गई थीं। इस सरकार का अपना बैंक था, अपनी मुद्रा थी, अपना डाक टिकट था, अपना गुप्तचर तंत्र था।'
मोदी ने कहा कि नेताजी का एक ही उद्देश्य था, एक ही मिशन था भारत की आजादी। यही उनकी विचारधारा थी और यही उनका कर्मक्षेत्र था। भारत अनेक कदम आगे बढ़ा है, लेकिन अभी नई ऊंचाइयों पर पहुंचना बाकी है। इसी लक्ष्य को पाने के लिए आज भारत के 130 करोड़ लोग नए भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। एक ऐसा नया भारत, जिसकी कल्पना सुभाष बाबू ने भी की थी।
उन्होंने कहा, 'आज मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि स्वतंत्र भारत के बाद के दशकों में अगर देश को सुभाष बाबू, सरदार पटेल जैसे व्यक्तित्वों का मार्गदर्शन मिला होता, भारत को देखने के लिए वो विदेशी चश्मा नहीं होता, तो स्थितियां बहुत भिन्न होती।
आज मैं कह सकता हूं कि भारत अब एक ऐसी सेना के निर्माण की तरफ बढ़ रहा है, जिसका सपना नेताजी ने देखा था। जोश, जुनून औरजज्बा तो हमारी सैन्य परंपरा का हिस्सा रहा ही है, अब तकनीक और आधुनिक हथियारों की शक्ति भी जुड़ रही है। हमारी सैन्य ताकत हमेशा से आत्मरक्षा के लिए रही है और आगे भी रहेगी। हमें कभी किसी दूसरे की भूमि का लालच नहीं रहा, लेकिन भारत की संप्रभुता के लिए जो भी चुनौती बनेगा, उसको दोगुनी ताकत से जवाब मिलेगा।