योगी ने भागवत के सुर में सुर मिलाकर संवैधानिक संस्था को किया दागदार
संघ राममंदिर के नाम पर संवैधानिक संकट पैदाकर कानून व्यवस्था ध्वस्त करने पर आमादा- रिहाई मंच
लखनऊ : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवात द्वारा अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने के बयान पर रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि आरएसएस देश के लोगों में विद्वेश और कटुता फैलाने, देश की एकता और अंखडता को समाप्त करने के लिए प्रयासरत है। आरएसएस का कोई भी कदम देश और देशवासियों के हित में नहीं है। यह संगठन देश में संवैधानिक संकट पैदाकर कानून व्यवस्था को ध्वस्त करने में लगा है। देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहने के कारण समय की पुकार है कि इस संगठन को अविलंब प्रतिबंधित कर दिया जाए। आरएसएस को प्रतिबंधित करने के साथ इसके सरसंघचालक सहित अनेक पदाधिकारियों के विरुद्ध राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लगे रहने के अपराध में इन पर मुकदमा कायम कर उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाय। अयोध्या विवाद माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष निर्णय के लिए विचाराधीन है। मोहनभागवत ने न्याय व्यवस्था की गरिमा को खंडित करते हुए न्याय व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा को समाप्त करने का काम किया है।
मुहम्मद शुऐब ने कहा कि मोहनभागवत के सुर में सुर मिलाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने दशहरे के मौके पर राम मंदिर पर बयान देकर संवैधानिक संस्था को दागदार किया है। मुख्यमंत्री का कर्तव्य है कि वह न्यायपालिका की गरिमा को स्थापित करे तथा अपने प्रदेश में कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखे। मुख्यमंत्री योगी ने अपने कर्तव्यों के विरुद्ध जाकर प्रदेश की कानून व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने के उद्देश्य से अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि परिस्थितियां भयावह है। इसमें होना तो यह चाहिए कि राष्ट्रपति को अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए प्रदेश की सरकार को बर्खास्त कर कानून व्यवस्था अपने हाथों में ले लें। जिससे प्रदेश जलने से बच सके और शांति व्यवस्था बनी रहे।